धार्मिक कार्यक्रमों का समापन हवन यज्ञ व संत सम्मेलन के साथ हुआ

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हनुमानगढ़। श्री गौशाला सेवा समिति हनुमानगढ़ जंक्शन में 1008 श्री स्वामी गोविंदनंद जी महाराज के परम शिष्य 1008 ब्रह्मलीन श्री स्वामी महादेव जी महाराज के दसवीं पुण्यतिथि पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों का समापन शुक्रवार को हवनयज्ञ व संत सम्मेलन के साथ हुआ। प्रातः गुरू दयानंद जी महाराज के सानिध्य में हवन यज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें यजमानों ने विधिविधान से पूजा अर्चना कर क्षेत्र की सुख स्मृद्धि व खुशहाली व गौमाता के अच्छे स्वास्थय की कामना के साथ हवनयज्ञ में पूर्णाहुति डाली। हवन यज्ञ के पश्चात संत सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें गोविन्दानंद जी महाराज हरिद्वार, सुरेश मुनी जी महाराज हरिद्वार, भुमादास जी महाराज, कल्याणस्वरूप जी महाराज गंगानगर वाले, माघोदास जी महाराज संगरीया, परमात्मानंद जी महाराज, आत्मानंद जी महाराज, कृष्णानंद जी महाराज, श्यामनंद जी महाराज, परमानंद जी महाराज, शंकरानंद जी महाराज शामिल हुए।

संत सम्मेलन में संतों ने गौरक्षा पर बल देते हुए कहा कि गौ माता को बचाने के लिए पहले हमें खुद को बदलना होगा। हम लोग पालीथिन आदि के माध्यम से गायों को मरने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने गौ हत्या के विरोध में फांसी देने का कानून बनाने की मांग सरकार से की। संतों ने कहा कि भारत में स्वामी विवेकानंद और झांसी की रानी जैसे देशभक्त पैदा करने वाली शिक्षा देने पर बल दिया। उन्होने कहा गो माता की सेवा, सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति की होनी चाहिए। वर्तमान में गायों की दशा पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र और गौ रक्षा के लिए युवाओं को आगे आना होगा। कुछ लोग थोड़े से लाभ के लिए गाय को कसाई के हाथ बेच रहे हैं। ऐेसा ही चलता रहा तो एक दिन ऐेसा आएगा कि गाय कहीं भी दिखाई नहीं देगी।

उन्होंने बताया कि पहले जब घरो में गोमाता का वास होता था, तब भोजन भी शुद्ध था। उन्होने समस्त श्रद्धालुओं से घरों में गाय का दूध व घी उपयोग करने की अपील करते हुए कहा कि शुद्ध दुध व घी चाहिए तो सदैव गौशालाओं से लेवे, ताकि आपके घरों तक शुद्ध व स्वच्छ दूध व घी उपलब्ध हो सके। संत सम्मेलन के साथ साथ विशाल भण्डारे व प्रसाद का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। उक्त आयोजन को सफल बनाने में गौशाला अध्यक्ष इन्द्र हिसारिया, बीरबल जिन्दल, गोपाल जिन्दल, मनीष बत्तरा, मुकेश महर्षि, सौरभ जिन्दल, लवली चावला, सुलतान सहू, विजय जांगिड़ मक्कासर, महावीर जांगिड़ व अन्य सेवादारों का सहयोग रहा।

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