नई दिल्ली: नोटबंदी के करीब सवा साल बाद एक बार फिर एटीएम पर ‘नो कैश’ के बोर्ड टंग गए हैं। देश के 10 राज्यों में एटीएम से नकदी नहीं मिल रही। इनमें मप्र, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, दिल्ली, आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात व महाराष्ट्र शामिल हैं।
बाकी राज्यों में भी दिक्कत सामने आने लगी है। हालांकि राजस्थान में कैश की किल्लत नहीं है। 8335 एटीएम में से 70% में पैसा है। बुधवार को सरकार के स्तर पर बैठक भी बुलाई गई है। देश में कैश की किल्लत पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि तीन महीने से नकदी की मांग दोगुनी रही है।
जबकि अप्रैल के शुरुआती 13 दिनों में तो सामान्य से पांच गुना ज्यादा करेंसी निकाली गई। सरकार 500 रु. के नोटों की छपाई 5 गुना बढ़ाने जा रही है। दो से तीन दिन में हालात सुधरने के आसार हैं।
क्यों हो रही कैश की किल्लत-
1- फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन ऐंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल का डर। इस बिल के मुताबिक, अगर कोई बैंक डूब रहा हो, दिवालिया हो रहा हो तो आपके जो पैसे वहां जमा हैं उनकी क्या गारंटी है, बैंक कितने पैसे लौटाने के लिए बाध्य हैं?
2- इस बिल के मुताबिक, खाताधारकों के जमा पैसे का इस्तेमाल बैंक को उबारने में किया जा सकता है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन भी खत्म किया जाना है। इसके तहत खाताधारकों को एक लाख रुपये तक लौटाने की गारंटी मिली है।
3- ग्राहकों के पैसों से बैंकों की सेहत सुधारने का प्रावधान, बिल के चैप्टर 4 सेक्शन 2 को लेकर भी है। इसके मुताबिक रेज़ोल्यूशन कॉरपोरेशन रेग्यूलेटर से सलाह-मश्विरे के बाद यह तय करेगा कि दिवालिया बैंक के जमाकर्ता को उसके जमा पैसे के बदले कितनी रकम दी जाए। वह तय करेगा कि जमाकर्ता को कोई खास रकम मिले या फिर खाते में जमा पूरा पैसा।
4- लगातार बढ़ रहे NPA की वजह से ग्राहकों में घबराहट है। सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 1,250 करोड़ रुपये का भारी भरकम नुकसान हुआ है।
5- डर की वजह से बैंकों, ATM से ज़्यादा पैसे निकालने की होड़।
6- एक साल से 2000 को नोटों का छपना क़रीब-क़रीब बंद, वहीं एसबीआई के डिप्युटी एमडी नीरज व्यास का कहना है कि 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एटीएम में हम 2000 रुपये के जितने भी नोट डालते हैं, वे निकल जाते हैं, लेकिन फिर काउंटर पर नहीं लौटते।
7- 200 के नोटों के लिए 70 फीसदी एटीएम तैयार नहीं यानि इन एटीएम मशीन को अपटेड किया जाना है।
8- कृषि क्षेत्र में खरीद-फरोख्त में बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से भी बाजार से ज्यादा निकाला जा रहा है।
9- यह शादियों का सीजन है और ऐसे में लोग पैसे निकालकर अपने पास रख रहे हैं ताकि बाद में दिक्कत कम हो।
10- कंपनियों द्वारा वित्तीय साल का क्लोजर।
3 से 4 दिन में सुधार के आसार
आरबीआई का कहना है कि उसके पास पर्याप्त नकदी है। लॉजिस्टिक कारणों से कुछ राज्यों में एटीएम में नकदी भरने और कैलिब्रेशन की प्रक्रिया जारी रहने से दिक्कतें हैं। फिर भी सभी चार नोट प्रेसों में छपाई तेज कर दी गई है। यानी जनता को 20 तारीख के आसपास तक इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा किल्लत-
बिहार, झारखंड, गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश दिल्ली, आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक आदि राज्यों में इस तरह की समस्या सबसे ज्यादा देखी गई है।
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