हनुमानगढ़। शहीद उघम सिंह पार्क में सोमवार को गुरुद्वारा गुरुनानकसर की ओर से शहीद उधम सिंह का 84 वां शहीदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सुबह 7 बजे श्री सुखमणि साहिब का पाठ किया गया व अरदास कर प्रसाद वितरण किया तदुपरांत साधसंगत द्वारा शहीदे आजम उधम सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किये। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुरूद्वारा प्रधान बलकरण सिंह ढिल्लो ने कहा कि कई बार इतिहास बनाने वाले लोग इतिहास के पन्नों तक नहीं पहुंच पाते और शहीद उधम सिंह उन्हीं में शामिल हैं। उन्होने बताया कि शहीद उधम सिंह के जीवनकाल पर चर्चा करते हुए कहा कि शिरोमणि शहीद उद्यम सिंह का जन्म सरदार अटल सिंह कम्बोज के घर 26 दिसम्बर 1899 को सुनाम जिला संगरूर पंजाब में हुआ।
उन्होंने 13 अप्रैल 1919 जलियांवाला कांड को अपनी आंखों से देखा था और जलियांवाला की मिट्टी को हाथ में लेकर इसका बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी। 21 साल तक 21 देशों की यात्रा करते हुए तथा सही समय व सही स्थान का इंतजार करते हुए आखिरकार अपने मुकाम पर पहुंच गए और 13 मार्च को 1940 को उन्होंने ओडवायर की गोली मारकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की । इस जुर्म में उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी की सजा दे दी गई। उन्होने कहा कि शहीद भगत सिंह की ही तरह शहीद उधम सिंह का स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान है, उन्होने देश की आजादी के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। हमें उनके जीवन से देशभक्ति की प्रेरणा लेनी चाहिए। आज हम जो आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे है, वों इन्ही अमर शहीदों की देन है। कार्यक्रम के अंत में सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीद उद्यम सिंह को श्रदांजलि दी ।
इस अवसर पर प्रधान ढिल्लो ने कहा जिले में एक सिख्खी स्कूल होना चाहिए ताकि आने वाली पीढी को शहीदों के इतिहास के बारे में व पंजाबी,गुरबाणी के बारे में ज्ञान दिया जा सके। इस मौके पर गुरूद्वारा गुरूनानकसर प्रेमनगर के प्रधान बलकरण सिंह ढिल्लो, गुरूदवारा सिंग सभा के जगजीत सिंह कपुर, सुलखन सिंग,गुरमेल सिंह, रागी,ग्रन्थी जूगनू सिंह,हरमेल सिंह,राजेन्द्र सिंह खालसा,कमलजीत सिंह धन्जू, जितेन्द्र सिंह, सुरजीत सिंह वजीतपुरीया,गुरूद्वारा इन्द्रकलोनी प्रधान जसवीर सिंह, जगदीश चुग,जगदीश सिंह मुत्ती,राज पीलीबंगा,जगदीप सिंह,बूटा सिंह, हरजीन्दर सिंह,राजवीन्द्र सिंह,सतवीर सिंह थिन्द व अन्य सदस्य मौजूद थे।
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