जिला संवाददाता भीलवाड़ा। शाहपुरा भीलवाड़ा अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के रामनिवास धाम में विश्व प्रसिद्ध महाकुंभ फूलडोल महोत्सव संतो की मण्डली खलका पहन के प्रणाम करके रामनिवास धाम में प्रवेश के साथ ही आरंभ हो गया
जानकारी के अनुसार संत निर्मल राम जी महाराज ने बताया कि सैकड़ों वर्षो से चल रही परंपरा के अनुसार संतों की मण्डली का खलका पहनकर विधिवत प्रणाम कर रामद्वारा में प्रवेश के साथ फूलडोल महोत्सव आरंभ होता है मेवाड़ मारवाड़ हडोती 300 से अधिक रामद्वारा के संत एवं संत मण्डलिया रामशाला में विश्राम करती हैं और फाल्गुन शुक्ल ग्यारस को सूर्योदय के बाद सूरजपोल पर एकत्रित होते हैं और अपनी पोशाक चद्दर को “खलकी” परंपरा के अनुसार विशेष तरीके से सिर तक पहनकर गादी पर विराजित आचार्य को संदेश देते हैं आचार्य के पास संदेश जाने के पश्चात रामनिवास धाम के कोतवाल संत राम नारायण जी देवास वाले और भंडारी शंभू राम जी महाराज वर्तमान आचार्य रामदयाल जी महाराज तक संदेश पहुंच आते हैं और संदेश लाते हैं तत्पश्चात संतो को और आचार्य का मिलन सूरजपोल से बारादरी में गादी स्थान पर होता है और संतों की मण्डली वर्तमान आचार्य के स्वास्थ्य और स्वभाव के बारे में हाल-चाल पूछती है और आचार्य भी यही परंपरा दोहराते हैं और संतों के रामनिवास धाम मैं उनका प्रवेश हो जाता है और फूलडोल महोत्सव आरंभ हो जाता है गौरतलब है कि संत और संतों की मण्डली को आचार्य आदेश नही देते तब तक रामनिवास धाम में संतों का प्रवेश वर्जित है
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