भगवत भक्ति में ही जीवन का सार- स्वामी दयानंद सरस्वती

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संवाददाता भीलवाड़ा। कलयुग में भगवान के संकीर्तन मात्र से ही मनुष्य भवसागर से पार पा सकता है । तुलसी दास जी कहा है कि “कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा” । भगवत भक्ति में ही जीवन का सार है जो व्यक्ति नित्य प्रतिदिन भगवान का नाम स्मरण करता है उसके जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं । भगवान तो भाव के भूखे हैं, श्रद्धा से जो कुछ भी अर्पण कर दे भगवान उसे ग्रहण कर लेते हैं । यह बात देवरिया में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए परम पूज्यनीय परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ भागवत पीयूष श्री श्री 1008 स्वामी दयानंद सरस्वती जी महाराज ने कही । स्वामी जी ने कहा है कि जब से लोग मंदिर जाना बंद किया तब से ही परिवार में कलह का माहौल होने लगा है । बच्चों में जो संस्कार आने चाहिए वह संस्कार नहीं आ रहे है इसलिए प्रतिदिन बच्चों को मंदिर ले जाना चाहिए जिससे कि हमारे धर्म और अध्यात्मिक संस्कृति को बच्चे समझ सके और अपने जीवन में उतार सकें । छोटी-छोटी बातें बच्चों को सिखाएं ताकि वह बड़े होकर के हमारी परंपराओं को आगे बढ़ा सके । धर्म सभा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख सत्यनारायण कुमावत ने भी संबोधित किया । कुमावत ने कहा है कि व्यक्ति को जल में स्थित कमल के पत्ते के समान होना चाहिए तभी वह सांसारिक विषय वासनाओं रूपी दलदल से परे रह सकता है । संसार में संतों की कृपा बड़ी दुर्लभ हैं जिन पर संतों की कृपा होती है वह भक्त बड़े भाग्यशाली होते हैं । कार्यक्रम के प्रारंभ में सांवर लाल जी महाराज पुष्कर आश्रम के द्वारा सभा में कीर्तन किया गया । देवरिया के शंकरलाल सेन परिवार की ओर से स्वामी जी का वंदन किया गया ।

सन्यास धर्म ग्रहण करने से पूर्व स्वामी जी का ननिहाल देवरिया में ही था । स्वामी जी के जीवन का परिचय करवाते हुए सुरेश कुमार सेन ने बताया कि स्वामी जी का जन्म देवरिया में ही हुआ था । यही खेलें कूदे बड़े हुए और प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की । कार्यक्रम में ग्राम वासियों व सरपंच साहिबा श्रीमती किस्मत शंकर गुर्जर के द्वारा भी स्वामी जी का पुष्प अर्चन द्वारा अभिनंदन किया गया । धर्म सभा का मंच संचालन परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने किया । आभार ज्ञापन केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के पीएस शंकर लाल गुर्जर ने किया । कार्यक्रम में माधव पटेल, रामनाथ डोई, राम नारायण कुमावत पूर्व सरपंच, शंकर पुरोहित, लादू लाल अग्रवाल, रतन महाराज, लादू वैष्णव, रामगोपाल शर्मा, लादूराम सेन देवलिया, बालू धड़ांदिया, खाना राम खाती, हरि जाट, बालू पटवारी, चंद्रशेखर शर्मा, महावीर जाट, महावीर सेन बड़गांव, चेतन गोस्वामी, महावीर शर्मा, गोपाल सेन, भोपाल सेन, कालू सेन, प्रहलाद सेन, नारायण तिवारी गुलाबपुरा, राम गोपाल गर्ग, बजरंग गर्ग, हरजी बगड़िया, भागीरथ कुम्हार, खन्ना बगड़िया, मिश्री बड़ार, भंवर भदाणिया, छीतर भदाणिया आदि ग्रामवासी महाराज श्री के आशीर्वचन में उपस्थित थे ।

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