प्रदूषण फैलाने के कारण 3 महीने से हो रहा है विरोध, फायरिंग में अब तक 13 लोगों की मौत

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चेन्नई: तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के बाद तूतिकोरिन में वेदांता स्टरलाइट की फैक्ट्री बंद कर दी गई है। बोर्ड के मुताबिक 18-19 मई को फैक्टरी परिसर में कुछ गतिविधियां देखी गईं। इसके बाद बुधवार को बोर्ड ने ईमेल पर काम बंद करने का आदेश भेजा और गुरुवार की सुबह 5.15 बजे बिजली सप्लाई काट दी गई।

यहां करीब 50 दिनों से प्रोडक्शन बंद है। वेदांता समूह की इस कॉपर स्मेल्टर यूनिट का स्थानीय लोग तीन महीने से विरोध कर रहे हैं। मंगलवार से अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है। प्लांट 1996 में शुरू हुआ था। तब से कई केस दायर हो चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण कानून तोड़ने के कारण 2013 में करीब 125 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। वेदांता प्लांट की क्षमता सालाना 4 लाख टन से बढ़ाकर 8 लाख टन करना चाहती है। लेकिन प्रदूषण बोर्ड ने इसे विस्तार की इजाजत नहीं दी। हाई कोर्ट भी प्लांट के विस्तार पर अंतरिम स्टे का आदेश जारी कर चुका है। प्लांट का पर्यावरण सर्टिफिकेट इस साल के अंत में खत्म हो जाएगा।

32 हजार से ज्यादा लोग हुए बेरोजगार-
गौरतलब है कि तूतीकोरिन में विरोध-प्रदर्शन के कारण स्टरलाइट कॉपर प्लांट बंद होने से 32 हजार 500 नौकरियों पर असर पड़ा है। इनमें 3 हजार 5 सौ लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ा है, जबकि 30 से 40 हजार नौकरियों पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ा है।

स्टरलाइट कॉपर प्लांट में 2,500 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर हैं। जबकि 30 हजार अप्रत्यक्ष कर्मचारी कारखाना बंद होने से बेरोजगार हो गए हैं, जोकि सप्लायर्स, लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट, कॉपर वॉयर यूनिट अन्य गतिविधियों के जरिए कारखाने से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे।

लोगों के विरोध को विदेशी साजिश बताया-
तमिलनाडु और गोवा में लोगों के विरोध पर वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने हाल ही एक ट्वीट में कहा था कि यह विरोध प्रदर्शन विदेशी साजिश का नतीजा है। किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, वे लोग चाहते हैं कि भारत मेटल्स के आयात पर निर्भर रहे और उनसे माल खरीदता रहे। लेकिन इससे भारत को विदेशी मुद्रा का नुकसान तो होगा ही, लाखों लोग नौकरी से भी वंचित रह जाएंगे।

भारत में कंपनी के 20 प्लांट हैं-
माइनिंग, रिफाइनिंग और बिजली बनाने के 20 प्लांट भारत में, 6 अफ्रीका में, एक आयरलैंड और एक ऑस्ट्रेलिया में है।

एक दशक से लग रहे हैं प्रदूषण फैलाने के आरोप
- पर्यावरण ग्रुप ‘फॉयल वेदांता’ लंदन में कंपनी की एजीएम के बाहर प्रदर्शन करता है। नॉर्वे के पेंशन फंड ने पर्यावरण के मुद्दे पर ही वेदांता को 2007 में इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो से बाहर कर दिया था।
-गोवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वेदांता को नेवलिम-बिचोलिम में खनन रोकने का निर्देश दिया। लोग खनन के कारण पानी प्रदूषित होने का आरोप लगा रहे थे।
-ओडिशा के लांजीगढ़ में 50,000 करोड़ के निवेश से एल्युमिनियम रिफाइनरी लगाई थी। इसके लिए नियमगिरि हिल्स में बॉक्साइट का खनन करना चाहती थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कंपनी की याचिका खारिज कर दी।
-जांबिया में भी कंपनी पर प्रदूषण फैलाने के आरोप लगे। वहां के सुप्रीम कोर्ट ने खिलाफ में फैसला दिया था।
-पंजाब के तलवंडी साबो में थर्मल प्लांट 2016 में पूरी तरह चालू हुआ। पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के कारण प्रदूषण बोर्ड ने 5 लाख का जुर्माना लगाया

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