-महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से विधिक सहायता शिविर का आयोजन
हनुमानगढ़। कानूनी जागरूकता के साथ महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जंक्शन राजकीय नर्सिंग कॉलेज में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के मुख्य वक्ता पैनल अधिकवक्ता रेशमी सिहाग ने बेटियों को महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, घरेलु हिंसा सहित उन्हे उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होने कहा कि महिलाओं के हित एवं संरक्षण के लिए देश में कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं तथा महिलाओं को विभिन्न विधियों के तहत विधिक अधिकार दिए गए हैं। बावजूद इसके जानकारी के अभाव में महिलाएं उनका लाभ नहीं ले पाती हैं। ऐसे में उन्हें विधिक रूप से जागृत करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार यह शिविर आयोजित किया जा रहा है। उपस्थित महिलाओं को विधिक जानकारियां प्रदान करते हुए बताया कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं को हिंसा से मुक्त जीवन जीने का अधिकार देता है तथा अधिकारों की रक्षा करता है। अधिवक्ताओं की ओर से दहेज प्रतिशेध अधिनियम की विधिक जानकारियां देते हुए बताया कि दहेज लेना या देना अपराध है। कोई भी व्यक्ति जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माता-पिता या अन्य रिश्तेदारों या दुल्हन यह दूल्हा के अभिभावक, किसी से भी दहेज की मांग करता है, तो उसे कारावास की सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त अधिवक्ताओं ने महिलाओं एवं बालकों के विरुद्ध अधिकार, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत प्रतिकर प्रदान करने की प्रक्रिया व पात्रता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए महिलाओं को विधिक रूप से जागरूक किया।
हनुमानगढ़। कानूनी जागरूकता के साथ महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जंक्शन राजकीय नर्सिंग कॉलेज में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के मुख्य वक्ता पैनल अधिकवक्ता रेशमी सिहाग ने बेटियों को महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, घरेलु हिंसा सहित उन्हे उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होने कहा कि महिलाओं के हित एवं संरक्षण के लिए देश में कई प्रकार के कानून बनाए गए हैं तथा महिलाओं को विभिन्न विधियों के तहत विधिक अधिकार दिए गए हैं। बावजूद इसके जानकारी के अभाव में महिलाएं उनका लाभ नहीं ले पाती हैं। ऐसे में उन्हें विधिक रूप से जागृत करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार यह शिविर आयोजित किया जा रहा है। उपस्थित महिलाओं को विधिक जानकारियां प्रदान करते हुए बताया कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं को हिंसा से मुक्त जीवन जीने का अधिकार देता है तथा अधिकारों की रक्षा करता है। अधिवक्ताओं की ओर से दहेज प्रतिशेध अधिनियम की विधिक जानकारियां देते हुए बताया कि दहेज लेना या देना अपराध है। कोई भी व्यक्ति जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माता-पिता या अन्य रिश्तेदारों या दुल्हन यह दूल्हा के अभिभावक, किसी से भी दहेज की मांग करता है, तो उसे कारावास की सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त अधिवक्ताओं ने महिलाओं एवं बालकों के विरुद्ध अधिकार, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत प्रतिकर प्रदान करने की प्रक्रिया व पात्रता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए महिलाओं को विधिक रूप से जागरूक किया।
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