हनुमानगढ़। इस्लामी नए साल मोहर्रम माह की शुरुआत हो गई है। जंक्शन कब्रिस्तान के बाहर मुस्लिम समुदाय सुधार संस्था द्वारा हुसैनी छबील लगाकर आमजन को मीठा शरबत पिलाया गया। छबील की शुरूवात फातिया पढ़कर व क्षेत्र की अमन चौन की दुआ के साथ की गई। राहगीरों ने हुसैनी छबील से शरबत पीकर इमाम हुसैन को याद किया और कमेटी के लोगों को दुआएं दीं। मौलवी आजम अशरफी ने बताया कि मुहर्रम के महीने से कई रिवायतें जुड़ी हुई हैं। यह महीना खासतौर से पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और कर्बला की सरजमीं पर उनके 72 साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है। पार्षद अब्दुल हाफिज ने बताया कि इस माह में छबील प्याऊ लगाकर ठंडा पानी और शरबत पिलाने की परंपरा भी है बयां है कि अल्लाह ताला के पसंदीदा मजहब दीन ए इस्लाम की तब्लीग व खिदमत और इसकी हिफाजत वह बका के लिए बेशुमार मुसलमान शहीद हुए। मगर उन तमाम शहीदों में हजरत इमाम हुसैन (रज़ी) की शहादत बेमिसाल है ।
आप जैसी तकलीफ और मुसीबत किसी ने नहीं उठाई मैदान ए कर्बला में आप 3 दिन के भूखे प्यासे शहीद किए गए। इस हाल में आपके साथ सभी अजीज रिश्तेदार 3 दिन से भूखे प्यासे थे और नन्हे बच्चे भी प्यास के मारे तड़प रहे थे । ऐसे मौका ए हाल में यजीद ने इमाम हुसैन के कुनबे पर दरिया ए फरात से एक बूंद पानी पीने पर भी पाबंदी लगा दी फिर भी हुसैन नहीं झुके और राहे हक में सब कुछ कुर्बान कर दिया। मैदान ए कर्बला में हजरत इमाम हुसैन के इस अजीम इम्तिहान को याद रखने और मुसलमान को अपने सफरे हयात में मजबूर इंसान की भूख और प्यास की शिद्दत को समझाने के लिए छबील लगाने की रिवायत है। इस मौके पर पार्षद अब्दुल हाफिज , अब्बास अली ,फिरोज खान , साबिर खान हुसैन खान रफी खान सतार खान असलम खान बाबू खान मंगा खान अकरम खान मौजूद थे।
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