नई दिल्ली: आखिरकार मुस्लिम महिलाओं की जीत हुई। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने तीन तलाक पर 6 महीने की रोक लगा दी। साथ ही सरकार को जल्द से जल्द इस पर कानून बनाने का आदेश भी दिया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने तीन तलाक पर फैसला सुनाते हुए कहा कि तीन तलाक पर कोर्ट का दखल देना ठीक नहीं है। इस पर केंद्र सरकार ही कानून बनाए। हालांकि इस मसले पर पांच सदस्यीय पीठ की राय अलग-अलग थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नरीमन, जस्टिस ललित और जस्टिस कूरियन ने तीन तलाक को असंवैधानिक माना जबकि जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस जे एस खेहर उनकी राय से सहमत नहीं थे। आखिर में चीफ जस्टिस खेहर ने इस पर फैसला देते हुए मामले को केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया।
फैसले में चीफ जस्टिस खेहर ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत संविधान के अनुच्छेद 14,15,21 और 25 का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत सुन्नी समुदाय का आंतरिक मसला है और एक हजार साल से चला आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब फिलहाल 6 महीने के लिए तीन तलाक अवैध है। इस दौरान केंद्र सरकार संसद में कानून बनाकर तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर सकती है।
क्या है तीन तलाक, निकाह हलाला और इद्दत?
ट्रिपल तलाक यानी पति तीन बार ‘तलाक’ लफ्ज बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है। निकाह हलाला यानी पहले शौहर के पास लौटने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रॉसेस। इसके तहत महिला को अपने पहले पति के पास लौटने से पहले किसी और से शादी करनी होती है और उसे तलाक देना होता है।
सेपरेशन के वक्त को इद्दत कहते हैं। बहुविवाह यानी एक से ज्यादा पत्नियां रखना। कई मामले ऐसे भी आए, जिसमें पति ने वॉट्सऐप या मैसेज भेजकर पत्नी को तीन तलाक दे दिया।
क्या है भारत में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की स्थिति?
देश में मुस्लिमों की आबादी 17 करोड़ है। इनमें करीब आधी यानी 8.3 करोड़ महिलाएं हैं। 2011 के सेंसस पर एनजीओ ‘इंडियास्पेंड’ के एनालिसिस के मुताबिक, भारत में अगर एक मुस्लिम तलाकशुदा पुरुष है तो तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की संख्या 4 है। भारत में तलाकशुदा महिलाओं में 68% हिंदू और 23.3% मुस्लिम हैं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
– मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- इस मसले पर कानून लाने की जरूरत नहीं है। बोर्ड अपने कानून के हिसाब से चलता है।
– इससे पहले बोर्ड ने माना था कि वह सभी काजियों को एडवायजरी जारी करेगा कि वे तीन तलाक पर न सिर्फ महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें।
– वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन्स पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रेसिडेंट शाइस्ता अंबर ने तीन तलाक को गैर-कानूनी करार देते सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है।
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