विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जर्जर छात्रावास अयोग्य घोषित

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संवाददाता शाहपुरा। शाहपुरा भीलवाड़ा शाहपुरा उपखंड क्षेत्र में इस सत्र से लगभग 70 छात्रों का भविष्य अंधकार में होने वाला है शाहपुरा के राजकीय अंबेडकर अनुसूचित जाति छात्रावास का संचालन सामाजिक न्याय अधिकार विभाग के द्वारा होता है जिसका भवन लगभग 30 साल पुराना हो गया और जर्जर अवस्था में होने से इस सत्र में विद्यार्थियों को प्रवेश वर्जित कर दिया गया और कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पाई जानकारी के अनुसार शाहपुरा उपखंड में कक्षा 6 से 12 तक के दूरदराज से आने वाले एवं आसपास के क्षेत्र के विद्यार्थी शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र शाहपुरा में अध्ययन के लिए आते हैं और रहने खाने पीने और अपनी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करते हुए अध्ययन और भविष्य का निर्माण करने के लिए मेधावी छात्र सरकार द्वारा संचालित राजकीय अंबेडकर अनुसूचित जाति छात्रावास में नियमानुसार प्रवेश लेते हैं लेकिन इस सत्र से विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

छात्रावास में ऑनलाइन 161 छात्रों का पंजीयन हो गया है और 70 छात्रों को प्रवेश दिया जाना है लेकिन गत इन 4 सालों से छात्रावास का भवन की छत जर्जर अवस्था में हो गई और लोहे के सरिए मैं जंग लगने से भवन की छत नीचे आने की कगार पर होने से एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया गया जिसके चलते अध्ययन के लिए बनाए गए 13 कक्ष छात्रों के साथ हादसा और जनहानि ना हो इसलिए छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा गौरतलब है कि जब तक नए छात्रावास का निर्माण नहीं होता तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में कई खाली सरकारी स्कूलों के भवन को देखा गया लेकिन उनके भवन भी जर्जर और असुरक्षित नजर आए शाहपुरा उमेद सागर रोड पर डाइट एसटीसी का भवन खाली पड़ा है उपयोग में कम आता है उसमें छात्रों को रखा जा सकता है लेकिन उच्च अधिकारी निर्देश देवें तो यह संभव है नया छात्रावास भवन बनने में लगभग 1 से 2 वर्ष लग सकते हैं और नए भवन की लगभग 3 से 4 करोड रुपए की लागत आती है जिसे कलेक्टर महोदय एमबीए फंड से या सामाजिक न्याय विभाग द्वारा नियमानुसार प्रदान किया जाए तो अति शीघ्र कार्य आरंभ हो सकता है इसके लिए छात्रावास द्वारा मार्च में विभाग को अवगत कराया जा चुका है अगर कलेक्टर महोदय एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकार विभाग ध्यान दें तो विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल हो सकता है क्योंकि भवन के अभाव में परिजन शाहपुरा क्षेत्र में अध्ययन के लिए अपने बच्चों को नहीं भेजना चाह रहे हैं।

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