संवाददाता भीलवाड़ा। आसींद तप-त्याग से आत्मा निर्मल होती है, तपस्या वो ही कर सकते है जिनका आत्मबल मजबूत हो। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने ब्यावर से आई तपस्वी बहिन डिम्पल मनीष बंट के मास खमण के प्रत्याख्यान के अवसर पर व्यक्त किये।
साध्वी ने कहा कि गुरु की निंदा कभी नही करनी चाहिए यहाँ तक कि गृहस्थी की भी निंदा नही करनी चाहिए। भक्त बनना है तो हनुमान जैसा बनना है जिन्होंने उसी भव में मोक्ष प्राप्त किया है, जिस सिद्धशिला पर भगवान महावीर विराजमान है उसी पर हनुमान भी विराजमान है। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि जिनवाणी सुनने जाते समय हमें किन वस्त्रों में जाना है इसका विवेक होना जरूरी है। किसी भी धार्मिक स्थान पर जा रहे है तो यह जरूर देखें कि वहाँ पर पूरे परिधान शालीनता के साथ पहन कर जावे। गुरु ने जो बत्तीस आगम दिए है हम उनको पढ़कर उनका अनुसरण करें। बच्चों को माता पिता अच्छे संस्कार देवे , छोटी छोटी बातों को बच्चों को बतावे और उनका अनुसरण करावे ताकि आगे चलकर उनका जीवन सही रास्ते पर चल सके। ब्यावर से आई डिंपल मनीष बंट जिसने तपाचार्य साध्वी जयमाला से 28 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। तपस्वी बहिन का स्वागत 11 उपवास की तपस्या से दीपिका देशरडा ने माला व चूंदड़ी से स्वागत किया।
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