सोसायटी आफ लाॅ आफ लैड़ द्वारा लोक संसद का आयोजन

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हनुमानगढ़। सोसायटी आफ लाॅ आफ लैड़ (स्वदेशी कानूनी सोसायटी) द्वारा लोक संसद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संरक्षक जसवंत सिंह गोदारा, सासद भरतराम मेघवाल, बार संघ अध्यक्ष मनजिन्द्र सिंह लेघा, व्यापार मण्डल गोलूवाला के अध्यक्ष राकेश ढाका, व्यापार मण्डल हनुमानगढ़ के अध्यक्ष प्यारेलाल बंसल, वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी, राजपाल गोदारा, सुखदेव जाखड़ थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व आईपीएस दलीप जाखड़ ने की। संरक्षक जसवंत सिंह गोदारा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस अधिनियम से लेकर आईपीसी, सीपीसी, साक्ष्य अधिनियम, विदेशी कानून, वन कानून, प्रेस व पुस्तक कानून, दिल्ली विशेष पुलिस अधिनियम आदि ऐसे कानून हैं जो अंग्रेजों के शासनकाल में बने। इनका मुख्य लक्ष्य अंग्रेजीराज और उनके हितों को संरक्षित करना था। जनता का हित इन कानूनों का ध्येय बिल्कुल नहीं था। आजादी के बाद थोड़े-बहुत परिवर्तन कर इन कानूनों को ज्यों का त्यों अपना लिया गया। सांसद भरतराम मेघवाल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को बृहद रूप में निरंतर करने की बात कही। उन्होने कहा कि विधि आयोग, सेंटर फोर सिविल सोसायटी और स्वदेशी कानून सोसायटी ने एक हजार से ज्यादा ऐसे कानून छांटे हैं जो वर्तमान में लोकतंत्र, मानवाधिकार एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के विरोधी हैं। इसके बावजूद हम उनको ढो रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने बताया कि ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषक कानून व्यवस्था हूबहू जारी है और इसका पालन भी किया जा रहा है। हमारा भारत देश आज भी ब्रिटिश काॅमन वैल्थ से बंधा है और ब्रिटेन के राजा रानी प्रभुत्व रखते है। जबकि अनेक देश जैसे अमेरिका, इजिप्ट और तुर्की पूरी तरह से आजादी ले चुके है। पूर्व सांसद श्री शंकर पन्नू ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी बात रखतें हुए कहा कि अध्यादेश जल्दी बाजी में जारी किए गए हैं जबकि इन पर चिंतन और मनन करने की जरूरत थी। हाल ही में बनाए गए 3 कृषि कानून इसी अंग्रेजी शोषक कानूनी व्यवस्था की तर्ज पर है, इसीलिये इनका विरोध हो रहा है। सेवानिवृत आईपीएस दलीप जाखड़ ने कहा कि ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 में भारत को स्वाधीन राष्ट्र की बजाय डोमिनियन स्टेट यानी अधीन राज्य का दर्जा दिया है। उन्होने बताया कि विधि आयोग, सेंटर फाॅर सिविल सोसायटी और स्वदेशी कानून सोसायटी ने हजार से ज्यादा ऐसे कानून छांटे है जो आज के लोकतंत्र, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून के विरोधी है। इस मौके पर एडवोकेट विजयसिंह चैहान, एडवोकेट सुशील भाकर, नवनीत निवाद, एडवोकेट संयोग शर्मा, मनफूल भादू, सुधीर गोदारा सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद थे। वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी ने कहा कि देश में इतने कानून हैं कि उनकी सही संख्या तो अर्टोनी जनरल और जज भी नहीं बता सकते। कानूनों का लक्ष्य जनता के हितों का संरक्षण होना चाहिए। जबकि होता इसका उल्टा है। पुलिस जनता के प्रति जवाबदेह होनी चाहिए। मगर वह राज्य के प्रति जवाबदेह है। कानून ऐसे हैं जो जनता के बजाय राज्य के हित साधते हैं। इन पर मंथन करना होगा। अंग्रेजों की शासन करने वाली मानसिकता से बनाए गए कानूनों को बदलने एवं उनमें सुधार की जरूरत है। इस मौके पर जसवंत सिंह गोदारा, एडवोकेट विजय सिंह चैहान, संयोग शमार्, नवनीत गोलूवाला, एडवोकेट रणजीत चहल, एडवोकेट अमित गोदारा, एडवोकेट सुशील व अन्य अधिवक्ता मौजूद थे। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि जल्द ही स्वदेशी कानून सोसाइटी द्वारा विभिन्न स्तर पर संबंधित विभागाध्यक्ष, संबंधित उच्च स्तरीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया जाएगा।

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