हनुमानगढ़। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंण्डल व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से ‘पर्यावरण कानून के प्रावधान और सभी हितधारकों के लिए प्रदूषण और पर्यावरणीय गिरावट के हानिकारक प्रभाव’ विषय पर कार्यशाला हुई। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव संदीप कौर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड बीकानेर से साइटिकिक ऑफिसर डॉ. भुपेन्द्र सोनी, पर्यावण अभियंता पामुल थलिया, मुकेश कुमार, मनीषा चौधरी ने पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर जानकारी दी। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव संदीप कौर ने बताया कि एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगने जा रहा है। उन्होने सिंगल युज प्लास्टिक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक वो होता है, जिसका इस्तेमाल एक ही बार होता है और फिर उसे फेंक दिया जाता है। खास बात ये है कि इन्हें रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है। स्ट्रो, प्लास्टिक चम्मच, कटोरी आदि सिंगल यूज प्लास्टिक में आती है जो कि 1 जुलाई से बेन होने वाला है। आम जन को जागरुक करने के लिए आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिबंधित प्लास्टिक आइटम्स की जानकारी दी गई साथ ही प्रतिबंधित आइटम के विकल्पों पर प्रजैंटेशन दिया गया ।
कार्यशाला में उपस्थित विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं एवं जागरूक नागरिकों ने पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी निभाने का आश्वासन देते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग नहीं करने का संकल्प लिया। हनुमानगढ़ वाटर इन्वायरों फाउण्डेशन के अध्यक्ष जयपाल जैन ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक, नाम से ही साफ है कि ऐसे प्रोडक्ट जिनका एक बार इस्तेमाल करने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। इसे आसानी से डिस्पोज नहीं किया जा सकता है। साथ ही इन्हें रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक की अहम भूमिका होती है। देश में प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ा कारक है। एक आंकड़ों के मुताबिक देश में 2018-19 में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था। प्लास्टिक न तो डीकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है, क्योंकि इससे जहरीले धुएं और हानिकारक गैसें निकलती हैं। ऐसे में रिसाइक्लिंग के अलावा स्टोरेज करना ही एकमात्र उपाय होता है। प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर नदी और समुद्र में पहुंच जाता है। यही नहीं प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूटकर पानी में मिल जाता है, जिसे हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। ऐसे में नदी और समुद्र का पानी भी प्रदूषित हो जाता है। यही वजह है कि प्लास्टिक वस्तुओं पर बैन लगने से भारत अपने प्लास्टिक वेस्ट जेनरेशन के आंकड़ों में कमी ला सकेगा।
राजकीय पॉलिटैक्निक महाविद्यालय के व्याख्याता आनंद जैन ने बताया कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिसमें प्लास्टिक के स्ट्रॉ, पॉलीथिन, प्लास्टिक के ग्लास इत्यादि जो एक बार इस्तेमाल हो जाने के बाद फेंक दिए जाते हैं, ऐसे में कई बार लोग इन्हें खत्म करने के लिए जमीन में दबा देते हैं या फिर जलाकर पानी में फेंक देते हैं। उन्होने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक न आसानी से नष्ट होता है, न रिसाइकिल होता है, इस प्लास्टिक के नैनो कण घुलकर पानी और भूमि को प्रदूषित करते हैं, प्लास्टिक जलीय जीवों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं साथ ही इससे नाले भी चोक हो जाते हैं। इस मौके पर प्रो. सुमन चावला, जगदीशराय अग्रवाल, भगवानदास बंसल, जयपाल जैन, आनंद जैन, पंकज सिंगला, पंकज बिहाणी, दिनेश गर्ग, नरेन्द्र जिन्दल, बलदेव सिंह, दीपाचंद वर्मा, कपिल झाझड़िया सहित अन्य उद्योगपति मौजूद थे।
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