हनुमानगढ़। टाउन की गौशाला प्रांगण में श्री मंदभागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसको लेकर आज टा कि नई आबादी गली नं. 8 में प्रैसवार्ता कि । प्रैसवार्ता में शतायु सन्त परम दुर्लभ संत श्री विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज के श्री मुख से सर्वजन कल्याणार्थ भाव से दिव्य साधनात्मक जीवनोपयोगी श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के माध्यम से सभी को अपना कल्याण करने का एक दुर्लभ अवसर श्री गौशाला समिति चिल्ड्रन स्कूल के सामने गौशाला हनुमानगढ़ टाउन में 8 नवम्बर से 15 नवंबर तक प्राप्त होने जा रहा । सभी भगवत प्रेमी साधकगण इस दुर्लभ अवसर का अधिक से अधिक संख्या में लाभ प्राप्त करें ऐसी सभी को संत भगवान की सद्प्रेरणा,साधुवाद व आशीर्वाद जरूर लेवे । सुत दारा अरु लक्ष्मी पापी घर भी होय । संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोय । अर्थात् पुत्र.पुत्री परिवार.पत्नी, धन.दौलत आदि तो पापी के घर भी हुआ करता है इसलिये यह बहुत बड़़ी बात नहीं है. इसीलिये इसकी कोई खास मर्यादा नहीं है कि हमें तो कई पुत्र.पुत्री हैंए काफी सुन्दर पत्नी हैए अपार धन.सम्पदा है । हम भरे.पूरे घर.परिवार वाले हैं। हम काफी धन.दौलत वाले हैं । हम सुखी.सम्पन्न हैं । हमको अब कोई परवाह नहीं है. कोई बात नहीं है । मगर सच तो यही है क़ि इन पुत्र.पुत्री घर.परिवारए धन.दौलत आदि सुखी.सम्पन्नता की कोई अहमियत नहीं है. कोई ही महत्ता नहीं है । महत्ता है संत दर्शन और समागम की. संत के साथ उठने.बैठने.रहने की एवं महत्ता है हरिकथा की । मर्यादा.महत्ता है हरि चर्चा.भगवत् चर्चा की.सत्संग कीए जो संत समागम से ही हो सकता हैए इसीलिये इन दोनों. संत समागम और हरि कथा. को ही तुलसी जी ने दुर्लभ बताया है । असलियत तो यह है कि भगवान् की सारी दुर्लभता सच्चे संत की दुर्लभता पर ही निर्भर होता है यानी सच्चा संत ही दुर्लभ होता है । जैसे संत मिल जाते हैं वैसे ही श्रद्धालु एवं भगवद् प्रेमी भक्तों का भगवान से मिलन भी सम्भव है। इसमें सन्देह की कोई बात ही नहीं है। मिलना स्वभाविक है क्योंकि अपने सतकर्मों के बल से ही और भगवत्कृपा विशेष से ही संत मिलन हो सकता है.होता है अन्यथा नहीं। और संत मिलन के बाद की भी क्रिया सहज और स्वाभाविक ही रहती है।
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