हनुमानगढ़ टाउन के श्री नेहरू मॉडल सेकेंडरी स्कूल में आज शहीदे ए आजम भगत सिंह की जयंती बड़ी ही श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाई । इस मौके पर स्कूल स्टाफ ने शहीदे ए आजम सरदार भगत सिंह की फोटो पर माल्यार्पण कर महान वीर पुरुष को जन्म दिवस मनाया । इस मौके पर स्कूल के निर्देशक रामकुमार रोकणा ने कहा कि भगत सिंह ने कहा था कि उनके शरीर को मारा जा सकता है लेकिन विचार को नहीं, वर्तमान समय में भगत सिंह तस्वीरों के रूप में तो जिंदा है लेकिन उनके विचारों का दिन प्रतिदिन कत्ल किया जा रहा है, उन्होंने बताया कि शहीद भगत सिंह युवाओं के लिए बहुत बड़े प्रेरणा सूत्र हैं ।
युवाओं को उनके बताएं मार्ग पर चलना चाहिए आज शहीद भगत सिंह जयंती पर सभी ने भगत सिंह के दिखाए हुए मार्ग पर चलने की शपथ ली । इस मौके पर रोकणा ने शहीदे ए आजम भगत सिंह की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 में पंजाब के एक सिख परिवार में हुआ था। इनकी जन्म भूमि बंगा गांव,पश्चिमी पंजाब में है जो अब पाकिस्तान में है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक किसान परिवार से थे। अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी।
भगत सिंह जन्म 28 सितम्बर 1907, वीरगति 23 मार्च 1931 भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल एसेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने एसेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया। आज उनके जन्म दिवस पर श्रद्धाजंलि अर्पित कर नमन करते है । इस मौके पर प्रधानाध्यापिका पिंकी रानी, वरिष्ठ अध्यापक पंकज रोकणा, फौजा सिंह, मीरा शर्मा, कंचन, रानी बानो, लिपिक मनीराम आदि स्कूल स्टाफ उपस्थित था ।
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।