हनुमानगढ़। गोलूवाला-सामाजिक समरसता न्याय मंच के बैनर तले सोमवार को मूल ओबीसी समाज के लोगों ने न्याय आक्रोश रैली निकालकर विरोध प्रकट किया। सैंकड़ो की संख्या में रैली में मौजूद दोपहिया एंव चौपहिया वाहनों में सवार लोगों ने अपने हक अधिकारों के लिए आवाज उठाई। यह वाहन रैली हनुमानगढ़ टाउन के रावतसर रोड स्थित राधा स्वामी डेरा से शुरू होकर मुख्य मार्गों से होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची जहां पर तहसीलदार को ज्ञापन सौंप जनसभा को संबोधित किया।ज्ञापन में इन्होंने बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 340,341,342 के तहत
देश क्रमशः पिछड़ों, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक उत्थान एवं प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान किए हैं। मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर ही भारत की 3743 जातियों और राजस्थान की 52 जातियों को सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ी जाति मानते हुए नौकरियो एवं अन्य सेवा क्षेत्र में 27 प्रतिशत (राजस्थान में 21 प्रतिशत) आरक्षण दिया गया, लेकिन उसके बाद समय-समय पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व शैक्षणिक दृष्टि से सक्षम, सबल एवं प्रभावशाली कुछ जातियों को दवाब एवं वोट की राजनीति के लिए पिछड़े वर्ग की सूचि में शामिल किया जाता रहा है जिसके कारण मूल रूप से पिछड़ी जातियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है और ओबीसी आरक्षण का अधिकांश हिस्सा ये ही कुछ सक्षम, सबल और प्रभाविशाली जातियां उठा रही है। रोहिणी आयोग का उद्देश्य भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण लाभ का उचित आवंटन करना था। इस आयोग को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच करना, उनकी बेहतरी के लिए उपाय सुझाना था। उन्हें आरक्षण के भीतर लाभ वितरण की निष्पक्षता का आंकलन करना था और ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए मानदंड स्थापित करना था।
13 एक्सटेंशन प्राप्त करने के बाद, समिति ने अंततः 21 जुलाई, 2023 को माननीया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसको आज दिनांक तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।इतने समय बाद भी रिपोर्ट को लागू करना तो दूर की बात है बल्कि सार्वजनिक भी नहीं किया गया है जिसके कारण देश के अति पिछड़े वर्ग के लोगों में केन्द्र सरकार के प्रति भंयकर असंतोष एवं अविश्वास का वातावरण पैदा हो चूका है। अब इनकी मुख्य मांग जातीय जनगणना करवा कर जनसंख्या के अनुपात में सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक भागीदारी सुनिश्चित की जाए। रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को सार्वजानिक करते हुए लागू किया जाए।आरक्षण का वर्गीकरण किया जाए।इन्होंने चेतावनी दी कि यदि केन्द्र एवं राज्य सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है तो 13 मार्च, 2024 को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करके बड़े जन आन्दोलन की घोषणा की जाएगी। यदि केन्द्र सरकार का जातीय जनगणना, रोहिणी आयोग की रिपोर्ट लागू करने एवं आरक्षण वर्गीकरण पर यही ढुलमुल रवैया रहता है और कोई कार्यवाही नहीं होती है तो देश का अति पिछड़ा, दलित और शोषित वर्ग इसे अपने हकों पर कुठाराघात मानेगा और देश में एक बड़ा जन आन्दोलन खड़ा करके आगामी लोकसभा चुनाव में अपना विरोध दर्ज करवाएगा।
इस दौरान सामाजिक समरसता न्याय मंच के जिला अध्यक्ष राम प्रताप भाट, संयोजक मनीराम कारगवाल, युवा समाज चिंतक राजेंद्र कुमार निम्मिवाल, कृष्ण गहलोत, दुर्गा दत्त सैनी,हरबंश सिंह औलख, रोहित स्वामी बलविन्द्र खरोलिया, अंतराम कुचेरिया, दलीप वर्मा, ओमप्रकाश जलंधरा, रामस्वरूप गेदर, गोविंद सांगवाल, सूरजसिंह औलख, रोशनदीन, गणेश दादरवाल, बलराम गोयल, सन्दीप घोड़ेला, सुरेंद्र मारवाल, विकास रामगढ़िया, विजय भाट, दलीप मोयल, गुरतेज माहर,कुलदीप सुथार, मोहनलाल डाल, रोहित सैनी, राजगिरी गोस्वामी, अरविंद मक्कासर प्रेमराज नायक, व बलदेव रामगढ़िया सहित सैंकड़ो की संख्या में मूल ओबीसी समाज के लोग उपस्थित रहे।
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