जिला संवाददाता भीलवाड़ा। अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार हरनावां सहवर्ती मुनि संबोध कुमार मेधांश के सानिध्य में बुधवार को लाड़ स्वाध्याय भवन में प्रेक्षाध्यान शिविर के पांचवे दिन संभागी भाई-बहनों को तनावमुक्त और स्वस्थ जीवन विषय पर बोलते हुए मुनिश्री ने कहा कि वर्तमान युग में तनावमुक्त और स्वस्थ जीवन जीना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। व्यक्ति समूह में जीता है। अनेक प्रकार के द्वंद्वों के बीच से गुजरना पड़ता है। द्वंद्वों में निर्द्वंद्व रहकर वही जी सकता है जो अपने मन को संतुलित रखना सीख जाता है।
मुनि संबोध कुमार मेधांश ने कहा कि मन का असंतुलन ही डिप्रेशन का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 36 फीसद लोग कभी न कभी डिप्रेशन के शिकार होते है। डिप्रेशन से बचने के लिए व्यक्ति असहिष्णुता, अधीरता से दूर रहे। किसी भी बात को गांठ का रूप न दे। हो सके तो उसी समय क्षमायाचना करके मन को हल्का कर ले, नहीं तो रात को सोने से पहले उस गांठ से मुक्त हो जाएं। स्वस्थ रहने के लिए शरीर का ही नहीं, मन का हल्कापन भी जरूरी है।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेक्षा गीत से हुआ। मुनि ने प्रेक्षा चिकित्सा, प्रेक्षा, अनु प्रेक्षा, मंत्र-ध्वनि, आसान, कायोत्सर्ग एवं विभिन्न प्रकार की मुद्राओं का उल्लेख किया। ये जीवन में कैसे उपयोगी हो सकती हैं, इस बारे में भी बताया।
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