केरल हिंसा: माकपा और भाजपा नेताओं के घर पर बम से हमले, अब तक 1700 लोग गिरफ्तार

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नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केरल में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों में तेजी आई है। माकपा के थालासेरी विधायक एएन शमसीर के घर पर शुक्रवार देर रात बम से हमला किया गया। इससे पहले भाजपा सांसद वी मुरलीधरन, माकपा के कन्नूर जिला सचिव पी शशि और पार्टी कार्यकर्ता विशक के घरों पर भी बम फेंके गए।

पुलिस ने बताया कि अब तक कम से कम 1738 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हिंसक प्रदर्शनों के संबंध में 1108 मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने ये भी जानकारी दी है कि इस घटना में अबतक 132 पुलिसकर्मियों और 10 मीडियाकर्मियों सहित 174 लोग हिेंसा में घायल हुए हैं।

इस बीच, शुक्रवार सुबह करीब छह बजे पंबा पहुंचीं ट्रांसजेंडर कायल को पुलिस ने लौटा दिया और श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के कारण उन्हें मंदिर परिसर के अंदर नहीं जाने दिया। उन्होंने बताया कि कायल साड़ी में आयी थीं और बाद में उन्होंने पुरुषों के कपड़े पहन लिए और ‘इरुमुदीकेट्टू’ के साथ मंदिर के अंदर जाने की कोशिश करने लगीं।

चार ट्रांसजेंडरों ने हाल में काली साड़ी पहनकर सबरीमला में पूजा की थी। जब से एलडीएफ सरकार ने पवित्र मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने का फैसला किया है तब से मंदिर परिसर में दक्षिणपंथी संगठनों, भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है।

पीएम की रैली रूकी-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्य में रविवार को होने वाला दौरा टाल दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में भाजपा के एक स्थानीय वरिष्ठ नेता के हवाले से यह जानकारी दी गई। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘पीएम की पठानमथिट्टा यात्रा 6 जनवरी को कुछ अन्य व्यस्तताओं के कारण स्थगित कर दी गई है। इसका मौजूदा स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन हम इस स्थिति को और बढ़ाना नहीं चाहते।’’

गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर की 800 साल पुरानी प्रथा को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश से खत्म कर दिया। 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश देने की इजाजत दी। इस फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले यहां 10 से 50 साल उम्र की महिला के प्रवेश पर रोक थी। यह प्रथा 800 साल पुरानी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरे राज्यभर में विरोध हुआ।

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