JLF में मनमोहन वैद्य बोले, आरक्षण खत्म करके सबको समान मौका मिले, विपक्ष ने साधा निशाना

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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन के अंतिम सेशन में RSS के संघ विचारक मनमोहन वैद्य ने आरक्षण पर विवादित बयान दे डाला। उनके इस बयान पर अरविंद केजरीवाल और लालू यादव ने निशाना साधा। अपने बयान में वैद्य ने कहा, आरक्षण का विषय भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिहाज से अलग संदर्भ में आया है। भीम राव अंबेडकर ने भी कहा है कि किसी भी राष्ट्र में ऐसे आरक्षण का प्रावधान हमेशा नहीं रह सकता।

आगे कहा आरक्षण के नाम पर सैकड़ों साल तक लोगों को अलग करके रखा गया, जिसे खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी है। इन्हें साथ लाने के लिए आरक्षण को खत्म करना होगा। आरक्षण देने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है। आरक्षण के बजाय शिक्षा और समान अवसर का मौका देना चाहिए। इससे समाज में भेद निर्माण हो रहा है।’

विपक्ष के लिए अहम है मनमोहन वैद्य का बयान
चुनावी माहौल में ये बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि यूपी में 21 फीसदी दलित 40 फीसदी ओबीसी पंजाब में 30 फीसदी दलित वोट है। आपको बता दें कि यूपी के दलितों में गैर जाटव दस फीसदी वोटबैंक पर बीजेपी की पकड़ मानी जाती जबकि चालीस फीसदी ओबीसी में से इस वक्त गैर यादव ओबीसी को बीजेपी का वोटबैंक माना जा रहा है। लेकिन RSS के आरक्षण विरोधी बयान से बीजेपी को अब दोबारा अपनी रणनीति बनानी पड़ सकती है, क्योंकि विपक्ष इस बयान को अपना मजबूत हथियार बना सकता है।

सेकुलरिज्म पर बोले मनमोहन वैद्य:

मनमोहन वैद्य ने कहा, यह भारत का शब्द नहीं है। फिर भी यह भारत में बड़ा पवित्र हो गया है। भारत में ऐसी परिस्थिति नहीं कभी थी। यहां पहले से ही सेकुलरिज्म रहा है। यह तो हिंदुत्व की परंपरा में ही है। आगे उन्होंने कहा यह शब्द संविधानकर्ताओं को पता था। यह शब्द बाद में क्यों आया, किसी को पता नहीं। किसी ने डिमांड नहीं की थी। सो कॉल्ड माइनॉरिटी को पूरे अधिकार हैं। एक विशेष वर्ग को ज्यादा प्रोत्साहन देने के लिए इस भाव से इस शब्द को लाया जा रहा है। इससे समाज में भेद बढ़ रहा है। समाज एक नहीं हो रहा है। ऐसे में इसके लिए फिर से विचार करना चाहिए।” आजादी के बाद इतने साल बाद भी समाज पिछड़ा क्यों है। इसके लिए पॉलिटिकल दृष्टिकोण से नहीं, राष्ट्रीय विचार से सोचना चाहिए।

श्रोताओं के सवाल पर बोले वैद्य: 
यदि इतिहास में गलत लिखा गया है तो हिंदुत्व या आरएसएस को मानने वालों ने किताबें क्यों नहीं लिखी? इस सवाल पर वैद्य ने कहा, “कल एसएल भायरप्पा ने विचार रखा, वो आरएसएस के नहीं है। नरेंद्र कोहली ने लिखा। ये सब हिंदुत्व के ही विचार लिखे हैं। समस्या ये है कि एकेडेमिक्स और मीडिया में लेफ्ट ने अपने आधिपत्य के कारण असली बातें सामने नहीं आने दीं। इन्टॉलरेंस कहने वाले लोगों ने ये नहीं होने दिया। हम दोनों यहां आए हैं तो लेफ्ट बायकाट करके चले गए।
राइटर, मीडिया, लेखन और फिल्म में कहा गया कि ये आरएसएस के आदमी हैं, इन्हें दूर रखो। ऐसा हुआ है।