जानिए क्यों लगा कर्नाटक चुनाव की वजह से सरकारी कंपनियों को 500 करोड़ का चूना

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नई दिल्ली: कर्नाटक चुनाव में मतदान से पहले 19 दिनों तक तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए। लेकिन अब तेजी से बढ़ रहे हैं। 14 मई से महज 4 दिनों में दिल्ली में पेट्रोल 69 पैसे व डीजल 86 पैसे महंगा हो चुका है। गुरुवार को यहां पेट्रोल 75.32 रुपए व डीजल 66.79 रु. लीटर रहा। डीजल तो सर्वकालिक उच्च स्तर पर है ही, पेट्रोल भी सितंबर 2013 (76.06 रु.) के बाद सबसे ज्यादा है।

ब्रोकरेज फर्म कोटक इक्विटीज का कहना है कि 19 दिनों तक दाम नहीं बढ़ाने से तेल कंपनियों का मार्जिन कम रह गया है। पहले ग्रॉस मार्केटिंग मार्जिन 2.70 रु. लीटर था, जो अब 50 से 70 पैसे है। अगर तेल कंपनियां चुनाव से पहले के मार्जिन पर जाएं तो पेट्रोल 4 से 4.55 रुपए और डीजल 3.5 से 4 रुपए तक महंगा हो जाएगा। वह भी तब जब आगे पेट्रोल-डीजल के अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क रेट न बढ़ें।

सरकारी कंपनियों को हुआ 500 करोड़ का नुकासान-
डॉलर के मुकाबले रुपया भी सस्ता न हो। पिछले हफ्ते आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल पर कंपनियों का मार्जिन सिर्फ 31 पैसे रह गया है। अनुमान है कि 24 अप्रैल से 13 मई तक दाम नहीं बढ़ाने से सरकारी तेल कंपनियों को करीब 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क रेट 5.6% तक बढ़े, देश में कीमत 1.3% तक बढ़ी
भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क रेट के हिसाब से रोजाना दाम तय करती हैं। 24 अप्रैल को पेट्रोल का बेंचमार्क रेट 78.84 डॉलर था जो अब 5.65% बढ़कर 83.30 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। डीजल का रेट 84.68 डॉलर से 5% बढ़कर 88.93 डॉलर हुआ है। लेकिन इस दौरान दिल्ली में पेट्रोल के दाम 0.92% और डीजल के 1.3% बढ़े हैं।

विधानसभा चुनावों से पहले मार्जिन बढ़ाएंगी 
ईरान पर प्रतिबंध और ग्लोबल डिमांड बढ़ने से कच्चे तेल के दाम आगे भी ऊंचे बने रहेंगे। मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान व उत्तर-पूर्व के 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। कंपनियां इससे पहले मार्जिन बढ़ाना चाहेंगी।

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