RBI के इस फैसले से बढ़ा जनता पर ब्याज का बोझ, जानिए क्यों बढ़ रही है इतनी मंहगाई

रूस-यूक्रेन के बीच एक महीने से ज्यादा समय से चल रही लड़ाई ने रिजर्व बैंक को अचानक फैसला लेने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि पूर्वी यूरोप में जारी जंग के चलते ऐसे हालात पैदा हो गए कि आरबीआई को 01 अगस्त 2018 के बाद पहली बार ब्याज दरें बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा

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नई दिल्ली: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अचानक से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे देश को हैरानी में डाल दिया। दरअसल, लगातार बढ़ती महंगाई से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 4.40% कर दिया है। यानी आपका लोन महंगा होने वाला है और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। 2 और 3 मई को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की आपात बैठक हुई थी, जिसमें ये फैसला लिया गया है।

दरअसल आरबीआई गवर्नर दास ने पिछले महीने इस फाइनेंशियल ईयर (FY23) की पहली एमपीसी बैठक के बाद लगातार 11वीं बार रेपो रेट को नहीं बदलने का ऐलान किया था। हालांकि तब बाजार और तमाम एनालिस्ट अनुमान जता रहे थे कि आरबीआई ब्याज दरें बढ़ाएगा।

हर किसी को बेकाबू होती महंगाई के कारण यह आशंका थी। तब गवर्नर दास ने एमपीसी की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि सेंट्रल बैंक के लिए के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ प्रॉयरिटी है और इसी कारण ब्याज दरों को निचले स्तर पर बरकरार रखा गया है।

RBI ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में भी 0.50% की बढ़ोतरी का फैसला किया है। इसे बढ़ाकर 4.5% कर दिया गया है। सीआरआर वह राशि होती है जो बैंकों को हर समय भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास रखनी होती है। यदि केंद्रीय बैंक सीआरआर बढ़ाने का फैसला करता है, तो बैंकों के पास डिसबर्सल के लिए उपलब्ध राशि कम हो जाती है। सीआरआर का इस्तेमाल सिस्टम से लिक्विडिटी को कम करने के लिए करता है।

RBI का फैसला मार्केट के लिए सरप्राइजिंग
RBI का इस तरह से अचानक ब्याज दरें बढ़ाना बाजार के लिए काफी सरप्राइजिंग रहा। इस फैसले के बाद सेंसेक्स करीब 1300 पॉइंट गिरकर 55,700 के करीब पहुंच गया। मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने कहा कि मार्केट के लिए ये काफी खराब है। RBI को अचानक इस तरह का फैसला नहीं लेना चाहिए था। सीनियर इकोनॉमिस्ट बृंदा जागीरदार ने कहा कि महंगाई के बढ़ने की वजह से RBI को ये फैसला लेना पड़ा है।

इन कारणों से बढ़ी मंहगाई-
गवर्नर दास की मानें तो रूस-यूक्रेन के बीच एक महीने से ज्यादा समय से चल रही लड़ाई ने रिजर्व बैंक को अचानक फैसला लेने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि पूर्वी यूरोप में जारी जंग के चलते ऐसे हालात पैदा हो गए कि आरबीआई को 01 अगस्त 2018 के बाद पहली बार ब्याज दरें बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा। यूरोप में जारी लड़ाई और कुछ प्रमुख उत्पादक देशों के प्रतिबंध के कारण खाने के तेल समेत कुछ ऐसे सामानों की कमी हो गई है, जो भारत के लिए महंगाई के लिहाज से संवेदनशील हैं। इसके अलावा फर्टिलाइजर्स के दाम में उछाल ने इनपुट कॉस्ट बढ़ा दिया है और भारत में खाने के सामानों के दाम पर इसका सीधा असर हुआ है।

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