संवाददाता भीलवाड़ा। राग, द्वेष से जब तक पर्दा नही हटेगा तब तक आत्मा निर्मल नही बनेगी, जब तक व्यक्ति का व्यवहार व स्वभाव नही बदलेगा तब तक वह भटकता ही रहेगा। मोहनी कर्म को जीतना सबसे बड़ा मुश्किल कार्य है। संगत का जीवन मे बहुत असर पड़ता है, आपकी संगत अच्छी है तो आप सुसंस्कारित बनोगे अगर अच्छी नही है तो उसके अनुरूप आप बनोगे। भगवान महावीर का मार्ग बहुत सहज और सरल है। जिसकी दृष्टि बदल गई उसकी सृष्टि बदल जाती है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने धर्मसभा में व्यक्त किये।
साध्वी ने कहा कि आसींद का चातुर्मास ऐतिहासिक साबित हुआ है। जहाँ पर चार जोड़ो ने शीलव्रत के आजीवन त्याग किये है एवं तप व त्याग में नए कीर्तिमान स्थापित किये है। साध्वी मंडल का 20 नवम्बर को प्रातः 8 बजे महावीर भवन से चातुर्मासिक विहार होगा।
साध्वी विनितरूप प्रज्ञा ने कहा कि प्रत्येक साधक चाहता है कि उसकी आत्मा पवित्र एवं शुद्ध बने। हमारी आत्मा तुम्बी की तरह है जिस पर क्रोध, मान, माया,लोभ की मिट्टी की परत जमी हुई है जिसे हटाना है। सुख के समय किसी व्यक्ति की पहचान नही होती है, जब धन दौलत पास में होता है तो सभी साथ देते है, जब दुःख आता है तो अपने भी साथ छोड़ देते है।उस समय केवल प्रभु का सहारा ही याद आता है। धर्मसभा मे स्पर्श हॉस्पिटल मुम्बई से आये डॉ दिनेश कोठारी एवं उनकी धर्मपत्नी डॉ श्रीमती कोठारी ने साध्वी मंडल के दर्शन लाभ प्राप्त कर जय आनंद परमार्थ संस्थान भीम में 5 लाख रुपये देने की घोषणा की। आसींद संघ ने डॉक्टर दंपति का शाल एवं माल्यार्पण से स्वागत किया।
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