लोक अदालत से सैकड़ों को राहत – तलाक लगाने के बाद भी हुआ राजीनामा, खुशी खुशी लौटे घर

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हनुमानगढ़। शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत अनेकों पारिवारिक मामलों का निस्तारण पारिवारिक न्यायलय के न्यायधीश परविन्द्र सिंह, काउंसलर एडवोकेट रेशमी सिहाग की मध्यस्ता से 3 घर बसाये व अनेकों मामलों का सुबह से लेकर शाम तक निस्तारण करवाया गया। काउसंलर रेशमी सिहाग ने बताया कि शनिवार को पहला मामला टिब्बी सलेमगढ़ का जिसमें मांगीलाल और हीना कौर का था जिनका विवाह 2015 में हुआ था जिनकी दो संताने है। दोनो पति पत्नि 2018-19 से दोेनों अलग अलग रह रहे थे। दूसरा मामला गोलूवाला का जिसमें श्योपतराम व संदीप का था जिनका विवाह 2012 में हुआ जिनकी दो संताने है।  दोनो पति पत्नि 2019 से दोेनों अलग अलग रह रहे थे। इन दोनों की लम्बी समझाईश के बाद दोनों का राजीनाम करवाकर खुशी खुशी घर भेजा गया। शनिवार को हुई लोक अदालत में एक अहम फैसला भी रहा जिसमें सर्वजीत कौर व दलराज सिंह है। लोगों मेें आम धारणा होती है जब सहमति से तलाक लग गया है उसमें राजीनामा नही होता घर नही बसते। यह मामला सहमति से तलाक लगने के बाद भी आज करीब डेढ़ साल बाद काउसलर एडवोकेट रेशमी सिहाग, अधिवक्ता सुरेन्द्र शर्मा व अधिवक्ता हेमराज वधवा के अथक प्रयासों से राजीनामा हुआ और दोनों पति पत्नि खुशी खुशी घर को रवाना हुए। समस्त बसाये गये दम्पतियों को एक दूसरे को फुलों की माला पहनाकर राजीखुशी घर विदा किया गया और भविष्य में आपसी मामलों को घर की चार दीवारी में सुलझाने के लिए प्रेरित किया ताकि पति पत्नि में आपसी मनमोटाव न बढ़े।

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