नई दिल्ली: जियो इंस्टीट्यूट ऑफ रिलायंस फाउंडेशन को उत्कृष्ट संस्थानों की लिस्ट में डालने पर केंद्र सरकार के फैसले पर विवाद बढ़ता जा रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का ट्वीट रिट्वीट करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। केजरीवाल ने कहा है कि मोदी सरकार अंबानी की जेब में है।
ये ही नहीं सबसे पहले इसपर सवाल उठाने वाले इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट करके सवाल उठाया है कि अंबानी की एक यूनिवर्सिटी को इस तरह तरजीह दिया जाना चौंकाने वाला फैसला है विशेषकर तब जब कई पहली श्रेणी की निजी यूनिवर्सिटीज को दरकिनार कर दिया गया है।
पहले कोंग्रेस सरकार अम्बानी की जेब में थी, अब मोदी सरकार अम्बानी की जेब में है। कुछ भी बदला क्या? https://t.co/AoppPcRdtN
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 11, 2018
क्या है विवाद कारण-
दरअसल, रविवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) की तरफ से छह इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस) का दर्जा दिया गया है। इन छह इंस्टीट्यूट में जियो इंस्टीट्यूट ऑफ रिलायंस फाउंडेशन को भी शामिल किया गया है। जियो का नाम तब आया है जब ये संस्थान बनकर शामिल भी नहीं हुआ है। जिसका काम अभी कागजों में ही सिमटकर रखा है। इसी को लेकर लोग सोशल मीडिया पर जियो इंस्टीट्यूट को ट्रोल कर रहे हैं। बता दें कि एचआरडी मंत्रालय ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलोर, मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने की घोषणा की है।
Jio Institute has not even been set up. It is not in existence. Yet govt grants it eminence tag. That is the importance of being M Ambani.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) July 10, 2018
सरकार ने क्या दी सफाई-
बढ़ते विवाद को देखते हुए यूजीसी रेगुलेशन 2017, के क्लॉज 6.1 के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिल्कुल नए संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है। इसका उद्देश्य निजी संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के एजुकेशन इंफास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए बढ़ावा देना है, ताकि देश को इसका लाभ मिल सके। मंत्रालय ने कहा कि जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के तहत चुना गया है, जो कि नए संस्थानों के लिए होती है।
In response to some misinformation campaign in social media regarding “Institutes of Eminence”, please find herewith clarifications on commonly raised questions #InstituteofEminence pic.twitter.com/K6IB5ILpfb
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 9, 2018
डूटा ने जताया विरोध-
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने कहा, “एक सरकारी स्कीम को एक निजी संस्थान के प्रोत्साहन के तौर पर इस्तेमाल किया गया है।”डूटा का कहना है कि इस तरह के शर्मनाक फ़ैसले इस संशय की बुनियाद है कि ये सरकार उच्च शिक्षा को दुकानदारी में बदल देना चाहती है और निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए किसी हद तक जा सकती है।
रिलायंस ने पेश की सफाई-
खुदका और सरकार का बचाव करते हुए जियो से जुड़े रोहित बंसल ने इस मुद्दे पर सरकार का बचाव करते हुए ट्विटर पर यूजीसी की अधिसूचना को साझा किया है। 29 अगस्त 2017 को जारी हुई इस अधिसूचना में उन नियमों का जिक्र किया गया है जिसके तहत एक निजी संस्थान को ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सेलेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी’ का दर्जा दिया जा सकता है।
Congratulations to @ManipalUni, @bitspilaniindia & Jio Inst for getting status of #InstituteofEminence. #TransformingEducation #48MonthsOfTransformingIndia@PIB_India @MIB_India pic.twitter.com/XpRsm8nxIQ
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) July 9, 2018
फिलहाल इस पूरे मामले में विपक्ष ने सरकार को घेरा हुआ है और सोशल मीडिया पर भी काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
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