हाउसिंग सेक्टर से जुड़े फैसलों के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैं

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नई दिल्ली: हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को तीन फैसले हुए। रिजर्व बैंक ने अफोर्डेबल हाउसिंग यानी सस्ते घरों के लिए कर्ज की सीमा 7 लाख रु. तक बढ़ा दी। अभी अधिकतम 28 लाख रु. तक का ही लोन लिया जा सकता था, जिसे 35 लाख तक कर दिया है।

सस्ते घरों की कीमत की सीमा भी 10 लाख रु. तक बढ़ाकर 45 लाख रु. तक की है। आरबीआई 30 जून को सर्कुलर जारी करेगा। दिवालिया हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट में खरीदारों को भी बैंकों के बराबर फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा दिया गया है। तीसरा फैसला कैबिनेट ने किया। इसके तहत घाटे वाली सरकारी कंपनियों की सरप्लस जमीन पर सस्ते घर बनाए जाएंगे। उधर, रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.25% बढ़ा दी, जिससे कर्ज महंगा होगा।

यहां उन बातों को शामिल किया जा रहा है जो आप हाउसिंग सेक्टर से जुड़ी हुई चीजों के बारें में जानना चाहते हैं-

सस्ते घर के लिए कर्ज की सीमा को बढ़ाया गया
रिजर्व बैंक ने महानगरों में अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए कर्ज सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 35 लाख की। महानगर से मतलब 10 लाख या ज्यादा आबादी से है। बाकी शहरों के लिए सीमा 20 लाख की जगह 25 लाख की। महानगरों में घर की कीमत 45 लाख व अन्य शहरों में 30 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। पहले महानगरों के लिए कीमत सीमा 35 लाख व अन्य शहरों में 25 लाख थी।

बीमार उपक्रमों को बंद करने की प्रक्रिया सरल हुई
घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की जमीन पर सस्ते घर बनेंगे। बीमार उपक्रमों को बंद करने की प्रक्रिया भी सरल की। कंपनी की देनदारी व कर्मचारियों के बकाया भुगतान आदि की समय सीमा तय की। इन कंपनियों के कर्मचारियों को 2007 के राष्ट्रीय वेतनमान के आधार पर वीआरएस दिया जाएगा।

खरीदार चाहें तो डेवलपर पर दिवालिया कार्रवाई संभव
राष्ट्रपति ने दिवालिया कानून में संशोधन के अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए। अब घर खरीदारों को बैंकों के बराबर फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा। डेवलपर दिवालिया हुआ तो उसके एसेट पर पहला हक बैंकों का होता था। खरीदारों का नंबर बाद में आता था। अब खरीदारों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। खरीदार भी चाहें तो डेवलपर के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू कर सकते हैं।

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