नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, ये मुद्दा भावनाओं से जुड़ा है। इसलिए इसे मध्यस्था के साथ सुलझाना होगा। जस्टिस बोबडे ने कहा कि बाबर ने जो किया, उसे कोई बदल नहीं सकता पर हम विवाद सुलझा सकते हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या विवाद दो पक्षों के बीच का नहीं बल्कि यह दो समुदायों से संबंधित है। हम उन्हें मध्यस्थता रेजोल्यूशन में कैसे बाध्य कर सकते हैं? ये बेहतर होगा कि आपसी बातचीत से मसला हल हो पर कैसे? ये अहम सवाल है।
सुप्रीम कोर्ट में हिंदू सभा ने क्लियर स्टैंड रखा कि मध्यस्थता नहीं हो सकती है। महासभा ने कहा कि भगवान राम की जमीन है, उन्हें इसका हक नहीं है। इसलिए इसे मध्यस्थता के लिए न भेजा जाए। रामलला विराजमान का भी कहना था कि मध्यस्थता से मामले का हल नहीं निकल सकता। वहीं निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता का पक्ष लिया।
इससे पहले 26 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में मध्यस्थ के जरिए विवाद का समाधान निकालने पर सहमति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि एक फीसदी चांस होने पर भी मध्यस्थ के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए।
Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case:Advocate Rajeev Dhavan,who is appearing for group of Muslim petitioners in the case,says, “Muslim petitioners are agreeable to mediation&any compromise or settlement will bind parties,” asks bench to frame terms for mediation pic.twitter.com/tq3PsdUnHc
— ANI (@ANI) March 6, 2019
करीब डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि वह जल्द ही इस पर अपना फैसला देंगे। फिलहाल उन्होंने सभी पक्षों से मध्यस्थता के लिए कुछ मध्यस्थों के लिए नाम मांगे हैं।
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