Rajasthan Election 2023: भाजपा और कांग्रेस ने अपने- अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुनावों में बनने वाली रणनीतियों को साफ कर दिया है। कांग्रेस ने राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल को कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है। यही वही शांति धारीवाल हैं, जिन्होंने पायलट की बगावत के समय विधायकों की अलग से बैठक बुलाई थी।
वहीं, सबसे हॉट सीट झालरापाटन से पार्टी ने नए चेहरे को मौका दिया है। वसुंधरा के सामने पार्टी ने राम लाल चौहान को चुनावी मैदान में उतारा है। इधर, कांग्रेस ने नागौर सीट से ज्योति मिर्धा के खिलाफ मिर्धा परिवार के ही हरेंद्र मिर्धा को टिकट दिया है। ज्योति मिर्धा कुछ सप्ताह पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं हैं।
घिसे-पिटे फॉर्मूले पर राजस्थान का चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस और भाजपा के सामने कई चुनौतियां होने वाली है क्योंकि इस बार जनता खामोशी के साथ अपना फैसला सुनाने वाली है।
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राजस्थान में जिसतरह से टिकटों का बंटवारा हुआ है उससे एक कहावत जोकि राजस्थान में काफी मशहूर है याद आती है कि थोथा चना, बाजै घणा। कभी बीजेपी का खुलकर विरोध जताने वाले गिर्राज मलिंगा 5 नवंबर को ही कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया। मलिंगा बाड़ी से कई बार विधायक रह चुके हैं. उनपर बिजली विभाग के एक इंजीनियर से मारपीट का आरोप है। सीएम गहलोत के कहने पर इस मामले में उन्होंने सरेंडर भी किया था।
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भाजपा ने इस बार काटा राजपूत, ब्राह्मण का टिकट
भाजपा ने इस बार 33 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। जबकि परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले राजपूत समुदाय से 25, ब्राह्मण समुदाय से 20 और वैश्य समुदाय से 11 टिकट दिए हैं। तीन चुनावों को देखें तो भाजपा में इस बार हर बार से कम टिकट राजपूतों को दिए हैं। ब्राह्मणों के औसत टिकट की संख्या 20 के आस-पास है। माली समाज के टिकट पिछली बार की तुलना में आधे कर दिए गए हैं। इस बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।
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कांग्रेस ने अपने पुराने फॉर्मूलें पर कायम
कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 36 जाट उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि पिछली बार 31 थे। एसटी के टिकट में बढ़ोतरी है। पिछली बार 29 टिकट थे, इस बार 33 कर दिए गए हैं। एससी के टिकट बरकरार हैं। वैश्य समुदाय के टिकट इस बार कम दिए हैं। पिछली बार 13-13 टिकट दिए गए थे, इस बार सिर्फ 11 दिए गए हैं। इसी तरह ब्राह्मणों के टिकट में 5 की कमी की गई है।
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क्या विरोधी खेल बिगाड़ेंगे राजस्थान का
राजस्थान में चुनाव का ऊंट अब किस करवट बैठेगा इसका थोड़ा लंबा इंतजार यानी 3 दिसम्बर तक करना पड़ेगा। राजस्थान में टिकट वितरण के बाद दोनों ही पार्टियों में बागियों से लड़ना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। टिकट नहीं मिलने से जगह-जगह पर विरोध का माहौल है। पार्टी के लोग विरोध में खड़े हैं। आमतौर पर ऐसा कांग्रेस में ज्यादा होता है, लेकिन इस बार भाजपा में ये स्थितियां ज्यादा हैं।
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