नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बनेंगे ‘शैडो प्रधानमंत्री’ जानिए क्‍यों बेहद अहम है ये पद ?

आखिरी बार 2009 से 2014 तक सुषमा स्वराज लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं। हालांकि उनके बाद यह पद अब राहुल गांधी को मिला है। 10 साल तक नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के पीछे की वजह थी

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कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष और सांसद राहुल गांधी ( Lok Sabha Opposition Leader Rahul Gandhi) अब संसद में नई भूमिका में नजर आएंगे। राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। 10 साल बाद लोकसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन चुना जाना है। करीब 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा है। हालांकि अब राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में होंगे। राहुल अपने 20 साल के पॉलिटिकल करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद संभालेंगे। भारतीय लोकतंत्र में कई ऐसे पद हैं, जो बेहद शक्तिशाली माने जाते हैं। इनमें नेता प्र‍तिपक्ष का पद भी शामिल है। शायद यही कारण है कि राहुल गांधी इसके लिए तैयार हुए है।

कांग्रेस नेताओं ने मांग कि है कि इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने और नई NDA सरकार के कामों पर नजर रखने के लिए शैडो कैबिनेट बनाई जाए। ये पहली बार नहीं है कि विपक्ष ने शैडो कैबिनेट बनाने की बात कही है। इससे पहले 2014 में कांग्रेस ने पार्टी स्तर पर मोदी सरकार की निगरानी के लिए 7 शैडो कैबिनेट कमेटियां बनाई थीं। चलिए जानते हैं क्या है शैडो कैबिनेट और कैसी होगी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका…

क्या है शैडो कैबिनेट और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका?
शैडो कमेटी का कॉन्सेप्ट ब्रिटेन से आया है, जहां से भारत का पार्लियामेंट्री सिस्टम मोटिवेटेड है। ब्रिटेन में विपक्ष के नेता को शैडो PM कहा जाता है। हमारी संसद की किताब में भी शैडो PM का जिक्र है, लेकिन इसे कभी अमल में नहीं लाया गया है। इस बार राहुल गांधी लीडर ऑफ द अपोजिशन होंगे। अगर शैडो कैबिनेट बनती है तो वे ही शैडो पीएम होंगे। हालांकि, लीडर ऑफ अपोजिशन के लिए एक जरूरी शर्त है। शर्त ये कि उस पार्टी के पास कुल सांसदों का 10 प्रतिशत से ज्यादा सांसद होना चाहिए। यानी, जिस विपक्षी पार्टी के पास 55 से ज्यादा सांसद होंगे, उस पार्टी के नेता को लीडर ऑफ अपोजिशन कहा जाता है।

इसे आप प्रधानमंत्री का शैडो वर्जन समझ सकते हैं। यानी, जिसके पास प्रधानमंत्री जैसी पावर तो नहीं होती, लेकिन उसकी जिम्मेदारी पीएम के जैसे ही होती है। शैडो PM असली प्रधानमंत्री के कामकाजों पर निगरानी रखने का काम करता है। लीडर ऑफ अपोजिशन को शैडो कैबिनेट का मुखिया या नेता भी कहा जाता है।

क्या लिखा है भारत के संविधान में शैडो कैबिनेट के बारे में
शैडो कैबिनेट के बारे में भारत के संविधान, कानून और संसद के नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। संविधान के भाग-5 में केन्द्र सरकार और संसद और भाग-6 में राज्य सरकार और उनकी विधानसभा के बारे में विस्तार से बताया गया है। ब्रिटेन की वेस्ट मिनिस्टर प्रणाली में शैडो कैबिनेट का गठन नेता प्रतिपक्ष करता है। वहां साल 1807 से नेता प्रतिपक्ष की परम्परा है, जिसके लिए साल 1911 में संसद अधिनियम बनाया गया। साल 1937 में बनाए गए मिनिस्ट्रीज ऑफ द क्रॉउन एक्ट की धारा-10 में शैडो कैबिनेट के बारे में प्रावधान है, लेकिन भारत में नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और जिम्मेदारियों के बारे में संसद से कानून नहीं बनने की वजह से शैडो कैबिनेट पर बहस शुरू नहीं हो पा रही है।

कौन-कौन से फैसले ले सकता है नेता प्रतिपक्ष (लीडर ऑफ अपोजिशन)
नेता प्रतिपक्ष के पास कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है। हालांकि सिर्फ यही कारण नहीं है, जिसके कारण यह पद बेहद महत्‍वपूर्ण माना जाता है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष विपक्ष की जिम्‍मेदारी निभाने के साथ ही कई संयुक्‍त संसदीय पैनलों और चयन समितियों का भी हिस्‍सा होता है। इनमें सीबीआई के डायरेक्‍टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्‍नर, भारत निर्वाचन आयोग के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त और चुनाव आयुक्‍तों की नियुक्ति, मुख्‍य सूचना आयुक्‍त, लोकायुक्‍त और राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्‍यक्ष और सदस्‍यों को चुनने वाली समितियां शामिल हैं।

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी का इन फैसलों में सीधी दखल होगी। इन कमेटियो के फैसलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही अब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सहमति भी जरूरी होगी। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी लेखा समिति के भी प्रमुख होंगे। ऐसे में सरकार के आर्थिक फैसलों पर बारीक नजर रखेंगे और उनकी समीक्षा भी कर सकेंगे। लेखा समिति ही सरकारी खर्च की जांच करती है। राहुल दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भी राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं।

क्या है नेता प्रतिपक्ष (लीडर ऑफ अपोजिशन) की सैलरी और सुविधाएं
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभालने वाले सांसद को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन मिलता है और उसी के अनुरूप भत्ते और अन्‍य सुविधाएं मिलती हैं। नेता प्रतिपक्ष को हर महीने 3.30 लाख रुपये की सैलेरी मिलती है। साथ ही कैबिनेट मंत्री के आवास के स्‍तर का बंगला मिलता है। साथ ही कार मय ड्राइवर की सुविधा भी उपलब्‍ध कराई जाती है। साथ ही जिम्‍मेदारी निभाने के लिए 14 लोगों का स्टाफ भी होता है।

8 जून को राहुल को नेता विपक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया था
4 जून को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट घोषित होने के चार दिन बाद 8 जून को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता नियुक्त किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा डिजाइन की और उसका नेतृत्व किया। ये दोनों यात्राएं देश की राजनीति में ऐतिहासिक मोड़ थीं। इससे कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं और करोड़ों वोटर्स में आशा और विश्वास पैदा हुआ। राहुल गांधी ने शुरुआत में यह पद लेने से इनकार किया था, लेकिन मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी के समझाने पर वे नेता विपक्ष बनने के लिए मान गए।

भारत में अबतक कितने नेता प्रतिपक्ष हुए
आखिरी बार 2009 से 2014 तक सुषमा स्वराज लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं। हालांकि उनके बाद यह पद अब राहुल गांधी को मिला है। 10 साल तक नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के पीछे की वजह थी कि 2014 और 2019 के चुनावों में किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते थे। नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल सीटों के 10% यानी 54 सांसद आपके पास होने चाहिए। दोनों ही बार कांग्रेस के इतने सांसद नहीं थे. हालांकि इस बार कांग्रेस 99 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही है।

बता दें, राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बनने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्‍य हैं। उनके पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी दोनों ही नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक इस पद पर रहे हैं। वहीं उनकी मां सोनिया गांधी 13 अक्‍टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक इस पद पर रही हैं।

भारत में कितना सफल है नेता प्रतिपक्ष का पद
भारत में शैडो कैबिनेट सिस्टम को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं कि इसका जिक्र भलें ही किया गया हो लेकिन शैडो कैबिनेट की भारत में कोई संवैधानिक हैसियत नहीं है। भारत की संसदीय प्रणाली में पहले ही लीडर ऑफ अपोजिशन यानी नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। हमारे यहां सरकार पर चेक और बैलन्सेस रखने के लिए कमेटी सिस्टम है, जिसमें विपक्ष के सदस्य हिस्सा होते हैं।

दुनिया में कहां-कहां है शैडो कैबिनेट
कनाडा: यहां वर्तमान शैडो कैबिनेट में विपक्ष की कंजरवेटिव पार्टी के मेम्बर्स शामिल हैं। पियरे पॉलिवीयर को विपक्ष का नेता यानी शैडो प्राइम मिनिस्टर चुना गया है।
ऑस्ट्रेलिया: शैडो कैबिनेट में विपक्ष की लिबरल पार्टी के मेम्बर्स शामिल हैं। पीटर डटन को लीडर ऑफ अपोजिशन चुना गया है।
न्यूजीलैंड: यहां लेबर पार्टी के मेम्बर्स ने सरकार के सामने अपनी शैडो कैबिनेट बनाई है। कृष हिपकिंस को इसका मुखिया यानि लीडर ऑफ अपोजिशन चुना गया है।

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