सरकारी बैंकों को पैसे दिए जाने से 0.5% बढ़ सकती है जीडीपी ग्रोथ

0
415

नई दिल्ली: सरकारी बैंकों के 2.11 लाख करोड़ रुपए के रिकैपिटलाइजेशन प्लान का बैंकिंग विशेषज्ञों और तमाम एजेंसियों ने स्वागत किया है। गोल्डमैन साक्स ने कहा कि इस कदम से लोन ग्रोथ में 1% और जीडीपी ग्रोथ में 0.5% बढ़ोतरी की उम्मीद है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने इसे देश का आर्थिक भविष्य सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम बताया है।

उन्होंने कहा कि टिकाऊ विकास के लिए बैंकों के पास पूंजी होना जरूरी है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि रिकैपिटलाइजेशन बांड से सरकार पर हर साल करीब 9,000 करोड़ रुपए ब्याज का बोझ पड़ेगा। यह सालाना बजट का महज 0.4% है। पूर्व आरबीआई गवर्नर बिमल जालान ने कहा कि पूंजीगत खर्च के कारण घाटा 0.1-0.2% बढ़ता भी है तो इसमें कोई हर्ज नहीं।

उर्जित पटेल ने एक बयान में कहा, ‘स्वस्थ बैंक जब स्वस्थ कंपनियों को कर्ज देते हैं तो निवेश और रोजगार का चक्र शुरू होता है। अभी तक बैंकिंग सेक्टर की चुनौतियों से निपटने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाए जाते थे। एक दशक में पहली बार ऐसा हुआ जब एक साथ इतना बड़ा कदम उठाया गया है।’

अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि आईएमएफ के अकाउंटिंग नियमों के अनुसार रिकैपिटलाइजेशन बांड से घाटा नहीं बढ़ेगा। इसलिए इससे महंगाई भी नहीं बढ़ेगी। हालांकि भारतीय नियमों के मुताबिक यह रकम घाटे वाले खाते में जाएगी। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस के मुताबिक 2.11 लाख करोड़ बैंकों का पूंजी स्तर बढ़ाने के लिए पर्याप्त है। कई बैंकों में सरकार काफी इक्विटी बेचने के बावजूद 50% से ज्यादा होल्डिंग बनाए रख सकती है।

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अर्थव्यवस्था में रिकवरी के लिए रिकैपिटलाइजेशन को जरूरी बताया। 2.11 लाख करोड़ में से 1.35 लाख करोड़ रिकैपिटलाइजेशन बांड के जरिए बैंकों को दिए जाएंगे। बाकी 76,000 करोड़ बजटीय सहायता और बाजार से जुटाए जाएंगे। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि मार्च 2015 में बैंकों का एनपीए 2.75 लाख करोड़ था, जून 2017 में यह 7.33 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इस कारण बैंकों को नए कर्ज देने में मुश्किल रही है।

रिकैप बांड के 3 अहम फायदे- 

मुद्रा योजना में कर्ज और रोजगार बढ़ेगा: एसबीआई रिसर्च के मुताबिक 70% बैंकिंग सरकारी बैंकों के पास है, इसलिए मुद्रा स्कीम के तहत कर्ज और रोजगार में तेजी सकती है। अभी तक 9.18 करोड़ यूनिट्स को मुद्रा लोन दिए गए हैं। इसमें से 80% लोन महिला उद्यमियों को दिया गया है। इससे अब तक 1.68 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।

टैक्सकलेक्शन बढ़ेगा, सरकार का घाटा कम होगा: बैंकऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के अनुसार कर्ज सस्ते होंगे, लोन में वृद्धि होगी, निवेश बढ़ेगा, ग्रोथ रेट बढ़ेगी, टैक्स कलेक्शन में इजाफा होगा जिससे घाटा कम करने में मदद मिलेगी। बाद में इन बांड को सरकारी सिक्युरिटीज में बदलकर बाजार में बेचा जा सकता है।

मुद्राबाजार में ब्याज दरें कम रखने में मदद मिलेगी: बांडसे बैंकों को एकमुश्त पूंजी मिल जाएगी, दूसरी तरफ ब्याज के रूप में सरकार पर असर भी लंबी अवधि में थोड़ा-थोड़ा होगा। सरकार मार्केट से कर्ज लेने के बजाय सीधे बैंकों से पैसे लेगी। यानी मुद्रा बाजार में डिमांड कम रहने से ब्याज दरें भी नीची रहेंगी।

खबरें पढ़ने के लिए Panchdoot के Homepage पर विजिट करें।
ये भी पढ़ें:

रूचि के अनुसार खबरें पढ़ने के लिए यहां किल्क कीजिए

(खबर कैसी लगी बताएं जरूर। आप हमें फेसबुकट्विटर और यूट्यूब पर फॉलो भी करें