मणिपुर में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के चलते केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा देने के बाद से राज्य में नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। गृह मंत्रालय ने 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना जारी की। राज्य में 21 महीने (3 मई 2023) से जारी जातीय हिंसा के चलते 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इसी के चलते बीरेन पर इस्तीफे का काफी दबाव था। विपक्षी पार्टियां भी लगातार NDA से इस मुद्दे पर सवाल पूछ रही थीं।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयास तेज होंगे। केंद्र सरकार की प्राथमिकता राज्य में कानून व्यवस्था को सुधारना और आगामी चुनावों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना होगी। मणिपुर की जनता अब उम्मीद कर रही है कि यह कदम राज्य में शांति और विकास की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।
कूकी समुदाय की संस्था ITLF क्या कहा?
कूकी समुदाय की संस्था ITLF के प्रवक्ता गिन्जा वूलजोंग ने कहा- बीरेन सिंह ने मणिपुर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर से इस्तीफा दिया है। हाल ही में उनका एक ऑडियो टेप लीक हुआ था, जिसका संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया है। ऐसे में अब भाजपा के लिए भी उन्हें बचाना मुश्किल लग रहा है।
बीरेन चाहे मुख्यमंत्री रहें या नहीं, हमारी मांग अलग प्रशासन की है। मैतेई समुदाय ने हमें अलग किया है। अब हम पीछे नहीं हट सकते। बहुत खून बह चुका है। एक राजनीतिक हल ही हमारी मुसीबत का समाधान कर सकता है। कूकी समुदाय अलग प्रशासन की मांग को लेकर अब भी जस का तस कायम है।
बीरेन सिंह ने राज्य से मांगी माफी
हिंसा पर बीरेन सिंह ने कहा था- मुझे माफ करें दिसंबर 2024 को मणिपुर के CM बीरेन सिंह ने राज्य में हुई हिंसा और उसमें हुई जनहानि को लेकर माफी मांगी थी। बीरेन सिंह ने कहा था कि पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। इसका मुझे बहुत दुख है। 3 मई 2023 से लेकर आज तक जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि हिंसा और जनहानि के बावजूद मुख्यमंत्री को पद पर बनाए रखा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के दबाव के कारण मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
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