इन 5 बातों के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

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2012 में देश के 13वें राष्ट्रपति बनें प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल कल समाप्त हो गया। जैसा कि आपको पता कांग्रेस पार्टी से राजनीति शुरू करने वाले मुखर्जी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंहा राव, मनमोहन सिंह की सरकार में वरिष्ठ मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान प्रणब ने मनमोहन सरकार और मोदी सरकार दोनों के साथ ही बहुत अच्छा तालमेल निभाया। इस बात के लिए पीएम मोदी भी उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। तो चलिए जाते-जाते आपको प्रणब मुखर्जी की उन फैसलों और बातों के बारें में बताते है जिनके लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे।

आतंकियों पर नहीं किया रहम

मुखर्जी दया याचिका खारिज करने के मामले में सबसे सख्त नजर आते हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने अब तक के कार्यकाल में 34 दया याचिकाओं पर फैसला किया, जिसमें से उन्होंने 30 याचिकाएं ठुकरा दी और बाकी 4 याचिका पर फैसला बदल दिया। जिसमें अफजल गुरू और अजमल कसाब जैसे आंतकवादी की भी दया याचिकाएं शामिल थी। उनके कार्यकाल में ही दोनों आतंकवादियों को फांसी हुई।

अध्यादेश पर दी नसीहत

प्रणब के कार्यकाल में एक भी ऐसा मौका नहीं आया जब उन्होंने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कैबिनेट से पास किसी अध्यादेश को लौटाया हो लेकिन सरकार को सलाह जरूर दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली खुद कई बार नीतिगत मसलों पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचे।

अरुणाचल मुद्दे पर राज्यपाल को दी सलाह

2016 में मोदी सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया। राज्यपाल जेपी राजखोवा की अनुशंसा पर वहां राष्ट्रपति शासन लगा। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल राजखोवा ने कांग्रेस के दस बागी विधायकों की बर्खास्तगी पर फैसले के लिए विधानसभा का सत्र पहले बुला दिया और उसी पर विवाद हुआ। मामला हाई कोर्ट पहुंचा और फिर उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत माना।

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बोलने की आजादी का किया समर्थन

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से ही विपक्षी दलों का आरोप लगा रहे हैं कि सरकार शैक्षणिक संस्थानों में बोलने की आजादी को कुचल रही है। इस मामले में प्रणब ने सीधे तौर पर कभी सरकार को कुछ नहीं कहा। लेकिन एक सम्मेलन में बोलने के अधिकार का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, आने वाली पीढ़ी हमसे जवाब मांगेगी, ये सवाल अपने आप से ही पूछता हूं। उन्होंने सवाल के लहजे में ही कहा कि क्या हम इतने सजग हैं कि अपने बुनियादी मूल्यों की रक्षा कर सकें

जीएसटी को लॉन्च किया, अगले दिन मोदी ने बताया ‘पिता’

1 जुलाई, 2017 को संसद के केंद्रीय सभागार में प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ बटन दबाकर वस्तु एवं सेवा कर (जीसएसटी) को लागू किया। प्रणब मुखर्जी पिछले तीन सालों में पीएम मोदी के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों के कारण मीडिया में चर्चा में रहे। अपने विदाई भाषण में भी प्रणब मुखर्जी ने मोदी के साथ अपने संबंधों का जिक्र भी किया और कहा कि उनके प्रति विनम्र व्यवहार के लिए वो हमेशा मोदी को याद रखेंगे। जीएसटी लांच के अगले दिन ही पीएम मोदी ने प्रणब की जमकर तारीफ की। मोदी ने कहा कि उनके लिए प्रणब मुखर्जी पिता की तरह रहे हैं। मोदी ने कहा, ”प्रणब दा मेरा ख्याल पिता की तरह रखते हैं। वो हमेशा मेरी सेहत की चिंता करते रहते हैं।

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प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के तौर पर अपने अंतिम भाषण में कहा कि सांस्कृतिक विविधता भारत को खास बनाती है। देश में बढ़ रही हिंसा पर चिंता जताते हुए मुखर्जी ने कहा कि देश को फिर से अहिंसा का पाठ पढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने परोक्ष रूप से देश और दुनिया में बढ़ती हिंसा के संदर्भ में कहा, ‘‘ हमें अपने जन संवाद को शारीरिक और मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ एक अहिंसक समाज ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों के सभी वर्गो के विशेषकर पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। हमें एक सहानुभूतिपूर्ण और जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए अहिंसा की शक्ति को पुनर्जाग्रत करना होगा।’’ हमारे समाज के बहुलवाद के निर्माण के पीछे सदियों से विचारों को आत्मसात करने की प्रवृत्ति को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृति, पंथ और भाषा की विविधता ही भारत को विशेष बनाती है।

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