पर्युषण में मिटाए मन का प्रदूषण- साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा

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संवाददाता भीलवाड़ा। पर्युषण पर्व आठ दिन तक किया जाने वाला एक धार्मिक अनुष्ठान है। अपनी आत्मिक शुद्धि के लिए हर व्यक्ति को इस अनुष्ठान से जुड़ना चाहिए।पर्युषण पर्व में अपनी आत्मा का चिंतन करे कि हम किस मोड़ पर खड़े है। आत्मा को परमात्मा बनाना है तो दूसरों की बुराइयां देखना बंद करे। आठ दिवसीय पर्युषण पर्व शनिवार से प्रारंभ हो रहे है इस दौरान धर्म आराधना के साथ साथ अपने मन को भी टटोले कि हमने साल भर में क्या अच्छा किया है , क्या बुरा किया है। जन्म और मरण के मध्य का जो अंतराल है उसमे आपने अगर अच्छा कार्य किया है तो आपकी अच्छाइयों को दुनिया याद करेगी। और अगर बुरा किया है तो आपकीं बुराइयों की चर्चा होगी। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि आपकीं प्रंशसा करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे पर सुधार कराने वाले बहुत कम मिलेंगे। भगवान महावीर ने जीओ और जीने दो का जो संदेश दिया पर आज कई स्थानों पर इसका उल्टा भी हो रहा है। हम अगर किसी के लिए गड्डा खोद रहे है तो वो गिरे ना गिरे उसमे हम एक दिन जरुर गिर जायेंगे। जिसने स्वयं को देख लिया उसने सब को देख लिया है। प्रभु महावीर ने पहले स्वयं को देखा, स्वयं को जाना फिर किसी को संदेश दिया। पंच महाव्रत का पालन करने वाले सभी साधु संत हमारे लिए पूजनीय होते है , हमे प्रातः उठते ही उनके दर्शन करने चाहिए । साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि हमारे जीवन से अंधकार, कषाय, विकार आदि को समाप्त करना है तो जिनवाणी की जरूरत पड़ेगी। शरीर का विसर्जन होने की कोई तिथि , समय निश्चित नही होता है, निमित कोई भी रहा हो विसर्जन होना तय है। कषाय मुक्ति एवं ह्रदय शुद्धि के लिए पर्युषण पर्व वरदान स्वरूप है, यह मनुष्य की भाव दशाओं को निर्मल करता है, सोच को सबके प्रति सकारात्मक बनाने की प्रेरणा देता है। संघ के मंत्री देवी लाल पीपाड़ा ने बताया कि पर्युषण पर्व के दौरान संघ के व्यक्ति प्रातः 8.30 बजे से 11 बजे तक अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर सपरिवार प्रवचन में पधारे। बाहर से आये आगन्तुको का संघ द्वारा सम्मान किया गया।

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