संवाददाता भीलवाड़ा।साहित्य सृजन कला संगम के तत्वाधान में आयोजित व्रत विषय पर काव्य गोष्ठी में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाये पढ़ी सर्वप्रथम कवि शिव प्रकाश जोशी ने माँ शारदे की वंदना आराधना माँ स्वीकार कर सुनाकर गोष्ठी का आरम्भ किया। ओम अंगार ने श्रंगार की बेहतरीन रचना है रात काली घनी पर कहूं कब। एवं युद्ध में भाग कर लौट आने पर क्षत्राणी का जवाब राजस्थानी रचना को सभी ने सराहा। ओम सनाढ्य ने व्रतधारी होबो दोरो,
सुनाई जिसे खूब दादा मिली। शिव प्रकाश जोशी ने हास्य रचना ज़रा सी चूक बदल सकती हैं मौत में निम्न सावधानियां जरुरी है करवाचौथ में सुनाकर सभी को खूब गुद्गुदाया। वेद्प्रकाश सुथार ने नेताजी की पत्नी का व्रत से सबको खूब हंसाय। कवि दिन भर की वो भूखी प्यासी फिर भी तुम राजा वो दासी, वो व्रत करती निमित्त तुम्हारे तुम करते केवल उपहास व्हाट्सअप पर तुम जोक बनाकर बस करते कोरी बकवास। व्रत पर शानदार रचना सुनाई। गीतकार सत्येंद्र मंडेला ने इंसानियत भी धंधा है गया। बेहतरीन रचना सुनाई। बालकृष्ण बीरा ने कभी किसी को भूल कर भी नीचा ना दिखाएंगे, ना खुद हसेंगे ना औरोंं को हसायेंगे एवं देखिये हर तरफ सुलग्ते सवाल है गज़ल् प्रस्तुत की। प्रसिद्ध कवि डॉ. कैलाश मंडेला ने व्रत पर दोहे कवि का व्रत होय सदा,प्रगटे सच्चे भाव, कटु वचनो से ना करें किसी हृदय पर घाव एवं गीत इस शरद की रात में तुम नहीं आना प्रिये, चाँदनी भी है चुकी हैं संक्रमित संभवतया। गोष्ठी का संचालन जयदेव जोशी ने किया।
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।