वाराणसी में स्थित दुनिया के सबसे बड़े मेडीटेशन सेंटर स्वर्वेद महामंदिर का आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया है। उद्घाटन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद रहे। बाद में पीएम ने यूपी के सीएम के स्वर्वेद महामंदिर का दौरा किया। इसे पीएम नरेंद्र मोदी ने आम जनता को समर्पित कर दिया है।
19 साल तक लगातार छह सौ कारीगर, दो सौ मजदूर और 15 इंजीनियर की मेहनत के बाद यह महामंदिर तैयार हो सका है। हालांकि इस मंदिर को पूरी तरह शुरू होने में अभी दो साल का समय और लगेगा। मंदिर का प्रथम तल ही आम लोगों के लिए खुल गया है। स्वर्वेद महामंदिर देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का अनोखा मंदिर है। यहां देवी और देवता की प्रतिमा नहीं है। मंदिर में पूजा की जगह ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए योग साधना की जाएगी।
स्वर्वेद का अर्थ
स्वर्वेद मंदिर का नाम स्व: और वेद से जुड़कर बना है। स्व: का एक अर्थ है आत्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान। जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, यानी स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। उसे ही स्वर्वेद कहते हैं। इस मंदिर की दीवारों पर 4000 वेदों से जुड़े दोहे भी लिखे गए हैं। साथ ही मंदिर की बाहरी दीवारों पर उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि से जुड़े चित्र बनाए गए हैं जिससे लोग कुछ प्रेरणा लें सकें।
मंदिर की खासियत
स्वर्वेद महामंदिर दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। सात मंजिला अधिरचना महामंदिर की संगमरमरी दीवारों पर स्वर्वेद के छंद उकेरे गए हैं। इसमें 20,000 से अधिक लोग एक साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं। स्वर्वेद मंदिर को ‘विहंगम योग’ यानि कि योग साधकों के लिए बनाया गया है। इस मंदिर में 3000 लोगों के एक साथ बैठ कर एक साथ प्राणायाम, ध्यान और योग करने की सुविधा होगी।
शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर उमरहा में स्थित स्वर्वेद महामंदिर का निर्माण दिसंबर 2004 में शुरू हुआ था। ग्राउंड फ्लोर पर सद्गुरु सदाफल महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर आधारित प्रदर्शनी व गुफा, सत्संग हॉल बनाया गया है। प्रथम तल पर स्वर्वेद प्रथम मंडल के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर 28 प्रसंग जो वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, रामायण की थीम लेकर बनाए गए हैं।
मंदिर की नक्काशी में भारतीय विरासत की झलक दर्शाती जटिल नक्काशीदार बलुआ पत्थर की संरचनाएं हैं। मंदिर की दीवारों के चारों ओर गुलाबी बलुआ पत्थर की सजावट भी हैं। साथ ही इस महामंदिर में 125 पंखुड़ी वाला कमल गुंबद तैयार किया गया है। इसको ग्रामीण भारत की भलाई के लिए अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक परियोजनाओं का केंद्र भी बनाया गया है। 100 करोड़ की लागत से तैयार मंदिर आम साधकों व श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है।
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