संवाददाता भीलवाड़ा। रायला क्षेत्र रामपुरिया ग्राम के अंदर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंदर तीसरे दिन पंडित पवन जी शास्त्री द्वारा प्रकृति के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया सूर्य नमस्कार एवं ध्रुव चरित्र के बारे में बताते हुए कहा गया है कि बालकों को परमात्मा और प्रकृति के बारे में बचपन से ही ध्यान देना चाहिए भक्ति की कोई उम्र नहीं होती है बचपन में की हुई भक्ति सार्थक परिणाम देती है तथा बालकों की प्रथम पाठशाला अपने माता-पिता होते हैं बालकों को संस्कार माता पिता के द्वारा दिया जाता है ध्रुव जी ने परमात्मा की भक्ति बचपन में अपनी माता के दिए गए संस्कार से की है । वही शिव विवाह के बारे में बताया गया कि हुत मत पकड़े पार्वती , थाने शिवजी परनवा आवेला , हुत मत पकडे पार्वती।
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