हनुमानगढ़। पंचायत समिति डायरेक्टरों ने शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को पंचायत राज संस्थाओं की त्रिस्तरीय व्यवस्थाओं के महत्वपूर्ण अंग पंचायत समिति सदस्य एवं डायरेक्टरों की समस्याओं के समाधान करवाने एवं अधिकार देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि राजस्थान राज्य पंचायती राज संस्थाओं का संस्थापक राज्य है तथा यहां की पंचायत राज संस्थाएं बहुत सशक्त है। लेकिन पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग पंचायत समिति सदस्य / डायरेक्टर का निर्वाचन को 5 वर्ष के कार्यकाल लिये होता है, लेकिन उनका प्रधान के मतदान उपरान्त महत्व व औचित्य शून्य व गौण हो जाता है। राजस्थान प्रदेश के पंचायत समितियों के हजारों पंचायत समिति सदस्य / डायरेक्टर को अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास एवं मतदाताओं को किसी भी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने का अधिकार भी नहीं है।
पंचायत समिति सदस्यों को किसी भी प्रकार के प्रशासनिक व वितिय अधिकार मिले हुए नहीं है, वो मात्र पंचायत समिति की साधारण सभा, बैठक की कोरम पूर्ति करने के संसाधन मात्र होते है और ये बैठक भी 6 माह में पंचायत समिति प्रधान द्वारा एक बार ही आयोजित की जाती है। उन्होंने बताया कि पंचायत सदस्य का निर्वाचन क्षेत्र सरपंच के निर्वाचन क्षेत्र से बड़ा होता है तथा कई ब्लॉक में दो-तीन ग्राम पंचायतों की आबादी आती है। इन समस्त समस्याओं व तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के हजारो पंचायत समिति सदस्यों के द्वारा एक बैनर तले संगठित होकर विभिन्न मांगो व दायित्वों का चिन्हिकरण किया गया है।
इनका कहना था कि जनता के द्वारा निर्वाचित होकर पंचायत समिति तक पहुंचने वाले इन सदस्यों के पास अधिकार नाम की कोई चीज नहीं है। इन सदस्यों के पास अपने क्षेत्र का विकास करवाने के लिए किसी प्रकार के अधिकार है और ही कोई फंड इत्यादि दिया जाता है। जिससे यह चाहकर भी अपने क्षेत्र का विकास नहीं करवा सकते। जबकि हर पंचायत समिति सदस्य के क्षेत्र में करीब सात-आठ हजार की आबादी होती है। विकास नहीं होने से आम जन की शिकायतें उन्हें सुनने को मिलती है। इन सदस्यों ने मुख्यमंत्री के नाम दिये ज्ञापन में मांग की है कि हर पंचायत समिति सदस्य को सांसद विधायक की तरह अपने क्षेत्र का विकास करने के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाना चाहिए। ग्राम पंचायत द्वारा करवाए जाने वाले विकास कार्यों की मॉनिटरिंग इत्यादि का प्रभावी अधिकार पंचायत समिति सदस्यों के पास होना चाहिए। विकास कार्यों का सत्यापन सदस्यों द्वारा करवाया जाना चाहिए।
सरपंच, पंचायत समिति प्रधान, जिला प्रमुख की भांति पंचायत समिति सदस्यों/ डायरेक्टगण को भी प्रशासनिक अधिकार ( विभिन्न दस्तावेजों का सत्यापन / प्रमाणिकरण करने का अधिकार) देने के लिये विभाग स्तर से प्रपत्र जारी किये जाये, अपने निर्वाचन क्षेत्र (ब्लॉक स्तर) के विकास के लिये केन्द्र व राज्यों से प्राप्त अनुदान राशि, (एसएफसी, टीएफसी व अन्य योजनाओं) में से पंचायत समिति सदस्य को, दलगत राजनीति से उपर उठकर अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य करवाने हेतु निर्धारित अनुपात में राशि उपलब्ध करवाई जाये।, अपने ब्लॉक / वार्ड में पंचायत समिति मद से विकास कार्य स्वीकृत करवाने के लिये संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा प्रपत्र से 5 दिये जाने की अनिवार्यता को हटाया जाये, इसकी जगह पंचायत समिति सदस्यों से प्रपत्र सं. 5 लिये जाने की स्वीकृति जारी की जाये, स्वायतशासी संस्थाओं (शहरी निकायों) के पार्षदों व पंचायत राज संस्थाओं के प्रधान, जिला प्रमुख एवं सरपंच की भांति पंचायत समिति सदस्यों को भी मासिक मानदेय न्यनतम 10,000/- रूपये स्वीकृत किये जाये।
पंचायत समिति सदस्य के ब्लॉक / वार्ड में होने वाले प्रत्येक विकास व निर्माण कार्याे के पूर्णतया, उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी सीसी) पर पंचायत समिति सदस्य / डायरेक्टर के हस्ताक्षर मय मोहर अनिवार्य किये जाये, पंचायत समिति सदस्य के निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत की कोरम बैठक व मासिक बैठको में लिये जाने वाले निर्णयों (पट्टा पत्रावलियों, अतिक्रमण आदि मुद्दों) में कोरम के साथ विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किये जाने को लेकर विभाग से परिपत्र जारी करवाए।, ब्लॉक / वार्ड क्षेत्र में होने वाले प्रत्येक विकास कार्य की शिलालेख पट्टिका पर पंचायत समिति सदस्य / डायरेक्टर का नाम लिखे जाने को लेकर विभाग से परिपत्र जारी किया जाये, पंचायत समिति सदस्य के ब्लाक / वार्ड में पंचायत समिति से स्वीकृत विकास कार्यों में सदस्य की अनुशंषा अनिवार्य की जाये।, पंचायत समिति सदस्य के निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों की (प्रशासनिक स्वीकृति वित्तिय स्वीकृति आदि) का प्रगति विवरण (एपीआर) उपलब्ध करवाने के दिशा निर्देश जारी करें।
यदि पंचायत समिति सदस्यों की भावना की ओर सरकार ध्यान नहीं देती है तो मजबूरन उन्हें साधारण सभा की बैठकों का बहिष्कार करना होगा। इस मौके पर भानिराम बगड़िया, छगन लाल, घेरूराम गोदारा, कालू गोदारा, तरसेम मेघवाल, करण गोदारा, मनोहर, राजू बराड़, बलकरण सिंह, विनोद कुमार, गुरप्रीत सिंह, सागन, प्रेम कुमार, तेजाराम, गुलाब सिंह व अनय डायरेक्टर मौजूद थे।
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