केंसर रोग के निदान में ओशो ध्यान लाभदायक, जीवन को समझने के लिए स्थिर मन का होना जरूरी है-चोधरी
संवाददाता भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले में मोतीबोर का खेड़ा में स्थित श्रीनवग्रह आश्रम सेवा संस्थान में तीन दिवसीय आनन्द ध्यान षिविर का आयोजन समारोह पूर्वक किया गया। षिविर में भीलवाड़ा के 11 ओषो ध्यान प्रेमियों के अलावा आश्रम के स्वयं सेवकों व रोगियों ने भाग लिया।
श्रीनवग्रह आश्रम सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी हंसराज चोधरी ने बताया कि षिविर में संभागियों ने संगीत व नृत्य की धुन पर जमकर ध्यान किया तथा आश्रम में ही रहकर यहां आयुर्वेद व औषधीय पौधों से केंसर सहित अन्य रोगों के उपचार की चिकित्सा पद्वति के बारे में जानकारियां हासिंल की। षिविर के समापन सत्र को संबोधित करते हुए श्रीनवग्रह आश्रम सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी हंसराज चोधरी ने कहा कि मनुष्य का मन स्थिर नहीं होता। वह सदैव गतिशील होता है। जीवन को समझने के लिए स्थिर मन का होना जरूरी है। सन्यासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य को एक झील की भांति शांत होना चाहिए। जिस पर कोई लहर न उठती हो। लेकिन मनुष्य के मन की दशा मधुमक्खियों के छेड़े गए छत्ते की भांति है। विचारों की भिनभिनाहट मक्खियों की तरह मनुष्य के मन को घेरे रहते हैं। जिसके कारण मनुष्य अशांत तनाव और चिंता में जीता है। संभागियों ने अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि उन्हें ओशो के विचारों से जो शांति मिली है। हम चाहते है वह शांति सबकों मिले। ध्यान शिविर में पहले डायनामिक ओशो ध्यान की विधि करवाई गई । उसके बाद कुंडलिनी, ओशो नटराज ध्यान विधि समेत कई अन्य ध्यान विधियां करवाकर ओशो प्रेमियों को अपने संगीत की लाइव परफॉर्मेंस विधि से ध्यान किया गया।
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