हनुमानगढ़। गुरूद्वारा भगत नामदेव जी हनुमानगढ़ जंक्शन में गत रात्रि को नये वर्ष के उपलक्ष्य में नवां साल गुरू दे नाल कार्यक्रम के तहत विशेष दीवान सजाये गये और कीर्तन करते हुए नये साल का स्वागत किया। गुरूद्वारा प्रबंध समिति के प्रधान सरदार मान सिंह ने बताया कि नव वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भाई जसवीर सिंह, भाई संतोख सिंह, भाई विशालदीप सिंह, भाई गुरचरण सिंह, भाई गुरप्रीत सिंह खालसा, भाई सिमरत सिंह सेठी खालसा ने गुरू के कीर्तन से संगतों को निहाल किया। इस मौके पर सरबत के भले की अरदास के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। गुरूद्वारे में कीर्तन रागी जत्थों ने संगतों के बीच खालसा पंथ के सृजनहार गुरू गोबिंद सिंह महाराज जी का इतिहास संगीत के माध्यम से विस्तार से बताते हुए कहा कि मुगलों का क्रूर शासन था। आमजन दुःखी था। लोग अपने आपको असुरक्षित, असहाय समझते थे। अपनी रक्षा के लिए लोगों का प्रतिनिधिमंडल हिंद की चादर गुरू पिता तेग बहादुर जी से मिला। उस समय आप (गुरू गोबिंद सिंह) अल्पायु में थे। पटना साहिब जी में आपका आगमन हुआ। नाशवान संसार में आपने बहुत कम समय व्यतीत किया। प्रांरभ से ही पिता जी से प्रेरणा लेते रहते थे। जुल्मों के खिलाफ लड़ते हुए पिता गुरू तेग बहादुर जी की शहादत के बाद धर्म की रक्षा के लिए आपको तैयार किया गया जो एक ऊंची सोच का प्रतीक था। निर्बल व कमजोर हो चुके लोगों को तैयार किया, ताकि वे अपने ऊपर होने वाले जुल्मों को रोक सके। श्री आनंदपुर साहिब बैसाखी वाले दिन एक समागम के बाद खालसा पंथ की सृजना की, ताकि अपनी व धर्म की रक्षा कर सके और इनका नेतृत्व भी आपने स्वयं संभाला और खालसा पंथ को मान सम्मान दिया। आपके द्वारा बनाई सिंहों की सेना जो एक अल्प संख्या में थी। इसी सेना ने मुगलों की धज्जियां उड़ानी प्रारंभ कर दी और मुगली सेना में भगदड़ मच गई। आनंदपुर साहिब छोडऩे के बाद आप चमकौर की घड़ी में आए। मुगली सेना आपका पीछा कर रही थी। आपने वाणी द्वारा जन-साधारण को सच्चे मार्ग पर चलना सिखाया व जातीय भेदभाव को समाप्त करवाकर सबको समानता का दर्जा दिलाया। ऐसे महान सख्सियत के सामने पूरा संसार नतमस्तक होता है। नव वर्ष पर ऐसे महान पुरूषों से हमें प्रेरणा लेते हुए सच्चे मार्ग पर चलने का प्रण लेना चाहिए। गुरू घर से जुड़ी साध संगतों ने गुरूद्वारा के बाहर आम जनता के लिए लंगर की व्यवस्था की।साथ ही नव वर्ष के उपलक्ष्य में संगत में लंगर के पश्चात दूध व मिठाईयों का भी वितरण किया गया।
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