हनुमानगढ़। धोलीपाल स्थित श्री श्री पंच महादेव सिद्धपीठ मठ श्री सन्यास आश्रम धोलीपाल द्वारा वैशाख कृष्ण नवमी पर ब्रह्मलीन महंत श्री श्री 1008 स्वामी पूर्णानंद गिरी जी महाराज की 11वीं वार्षिक पुण्यतिथि पर संगीत में श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। जैसे जैसे दिन बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे श्रद्धालुओं की संख्या प्रवचन सुनने वालों की संख्या कई गुना ज्यादा बढ़ोतरी होती चली जा रही है। कथा के चौथे दिन परम श्रद्धेय महंत पुनीत गिरी जी महाराज हिमाचल प्रदेश वालों ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन 2 ही कारण से प्राप्त होते हैं एक तो परमेश्वर की भजन भक्ति कीर्तन करने के लिए और दूसरा हमारे द्वारा पूर्व जन्म में जो किए गए फल को भोगने के लिए होता है। मानव का शरीर मिलना बहुत ही कठिन है और उससे ज्यादा परमेश्वर की भक्ति कर पाना यह मनुष्य जिस शिव भगवान का स्मरण करते हैं, पूजन करते हैं, भक्ति में डूबे रहते हैं, उस शिव भगवान का मातृ स्पर्श से एक योनि से छुटकारा मिल जाता है। मातृ स्पर्श से ही एक योनि से छुटकारा मिल जाता है। यह जन्म मरण का चक्र 84 लाख का होता युनियो का होता है सिर्फ शिव महापुराण कथा से ही हमें कई यूनियों से मुक्ति मिल जाती है। कभी मौका मिले लिंग पुराण का स्मरण कीजिएगा नर्मदा का स्मरण कीजिएगा ब्रह्मांड पुराण का स्मरण कीजिएगा इन सभी में बताया गया है आप शिवलिंग में शंकर भगवान ने एक लोटा पानी चढ़ाते हैं उसका क्या फल प्राप्त होता है एक लोटा पानी का फल कितना प्रबल है यह शिव ही जानते हैं। स्वामी जी ने कथा में शंकर भगवान की जटा से साक्षात गंगा मैया शिव महापुराण की कथा सुनने भिलाई में उपस्थित हो गए हैं घर के दरवाजे पर मोर का पंख दिख जाता है तो घर के बच्चे अनुमान लगाते हैं कि मोर आया था, कोई कहता है भगवान श्री कृष्ण आए थे यह तो अपना-अपना नजरिया है मुझे तो हर चीज में परमेश्वर ही भोलेनाथ ही शिव शंकर ही नजर आते हैं कथा का अमृत पान करते हुए सभी श्रद्धालुओं बहुत ही प्रसन्न हो गए।
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