संवाददाता भीलवाड़ा। जिस शरीर पर व्यक्ति अभिमान करता है वह एक मिट्टी के पुतले के समान है। कोई भी हमारा साथ देने वाला नही है। नित्य केवल परमात्मा की वाणी और धर्म है। बाकी सभी चीजें अनित्य है। हमारा भाव,स्वभाव शुद्ध और अच्छा होगा तो दुनिया वाले याद करेंगे बाकी कोई याद करने वाला नही है। हम प्रतिदिन जिनवाणी को सुनते है लेकिन उसको जीवन मे उतारने का प्रयास नही करते है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या बाल साध्वी विनितरूप प्रज्ञा ने धर्म सभा मे व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि हमे जन्म देने वाला, हमारा नाम रखने वाला,हमे शिक्षा देने वाला, नोकरी देने
वाला, शादी करने वाला ,जब इस दुनिया से जायेंगे तो ले जाने वाला कोई और होगा तो फिर हम अभिमान किस चीज का करते है? इस दुनिया में जिसने भी अभिमान, अंहकार किया वो नष्ट हुआ है। अभिमान तब आता है जब हमें लगता है कि हमने कुछ किया है, पर सम्मान तब मिलता है जब लोगो को लगे कि आपने कुछ किया है। अपने किसी भी कार्य के लिए सम्मान पाने की सोच मत रखिये। हर कार्य को प्रभु की सेवा मानकर सम्पन्न कीजिये। सम्मान तो भगवान के घर से प्रसाद के रूप में स्वतः ही आपको प्राप्त हो जायेगा।
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