सावधान: ऑनलाइन मंगाया था फोन घर पहुंचाया साबुन, एक नहीं कई केस आए सामने

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दीवाली सीजन शुरू हो गया है और रातों रात दोगुना बढ़ता ऑनलाइन बिजनेस फिर से त्यौहारों में अपने ग्राहकों के लिए जबरदस्त ऑफर लेकर आया है। लेकिन इन सब के बीच खबर आ रही है कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां अपनी डिलिवरी ठीक से नहीं कर पा रही। कई तरह की शिकायतें मिल रही हैं। बरेली और रुड़की की ताजा घटनाएं इसका उदाहरण हैं। दोनों ही मामलों में मोबाइल फोन का ऑर्डर किया गया था लेकिन जब सामान घर पहुंचा तो उसमें खोलने पर साबुन की टिकिया मिली।

CASE 1: 
बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली का एक कंप्यूटर ऑपरेटर ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गया। उसने एक नामी ई-कामर्स वेबसाइट से तीन मोबाइल मंगाए। जब डिब्बा खोला तो उसमें साबुन की टिकिया थी। उन्होंने पुलिस से इसकी शिकायत की है।

डीसी शर्मा ने 15 दिन पहले 6999 रुपये कीमत के तीन मोबाइल का आर्डर दिया। बरेली में डिलीवरी न होने के कारण उन्होंने दिल्ली के पते पर फोन मंगवाए। उन्होंने पेमेंट ऑनलाइन ही कर दिया था। दस दिन पहले तीनों मोबाइल दिल्ली में डिलीवर हुए। शर्मा दिल्ली गए तो मोबाइल लेकर आए। पैकेट खोला तो उसमें साबुन की टिकिया मिली। शर्मा ने बताया कि कंपनी से बात की गई पर कस्टमर केयर वालों ने कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया। अब वे मामला उपभोक्ता अदालत में दोनों मोबाइल के डिब्बों के साथ लेकर जाएंगे।

CASE 2: 
रुड़की में फोन पर बुक कराए गए मोबाइल की जगह पार्सल में साबुन निकलने के नाराज उपभोक्ता ने पोस्टमैन के सिर पर पार्सल मार दिया। पोस्टमैन ने पुलिस को तहरीर दी है।

शिवपुरी कॉलोनी निवासी एक व्यक्ति को बेहद सस्ती दर पर महंगा मोबाइल देने कॉल आई। उसने पार्सल ऑर्डर मंगाया। सोमवार को बीट नंबर सात का पोस्टमैन सुनीत कुमार (कैश ऑन डिलीवरी) पार्सल लेकर गया। पुलिस को शिकायत में पोस्टमैन ने बताया कि उपभोक्ता से 4999 रुपये का पार्सल लेकर वह जैसे ही आगे बढ़ा उपभोक्ता पीछे से आया और उसके सिर पर पार्सल मार दिया। पार्सल में मोबाइल की जगह साबुन की टिकिया थी। उपभोक्ता का कहना था कि उसे फोन चाहिए। उक्त व्यक्ति ने पोस्टमैन के साथ मारपीट की और उसे एक दुकान में ले जाकर बंधक बना दिया। इंस्पेक्टर जवाहर लाल ने बताया कि तहरीर के आधार पर मामले की जांच कर रही है।

सावधानी बरतें-

  • ई-कॉमर्स वेबसाइट्स विक्रेताओं को प्लेटफार्म मुहैया कराती हैं, ये स्वयं प्रोडक्ट नहीं बेचती। इन वेबसाइट्स पर सभी विक्रेता एक सामान नहीं होते, कुछ विक्रेता ऐसे होते हैं जिन्हें आफिशियल माना जाता है।
  • ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के अपने गोदाम हैं, जहां थर्ड पार्टी विक्रेता का भी सामान रखा होता है। गोदाम में मौजूद सामान को अगर आप खरीदते हैं तो फिर इनकी शिपिंग वेबसाइट खुद करती है। इसमें धोखा नहीं होता।
  • अपने पसंद का प्रोडक्ट खरीदने से पहले विक्रेता की रेटिंग जरूर देख लें।
  • कैश ऑन डिलेवरी का चुनाव क्रेडिट या डेबिट कार्ड की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है।