संवाददाता भीलवाड़ा। अभिमान का जब तक त्याग नही होगा तब तक आत्मा परमात्मा नही बन सकती है। एक दूसरे का परस्पर सम्मान करें तभी परिवार स्वर्ग बन सकता है उक्त विचार साध्वी जयमाला म.सा. ने महावीर भवन में धर्मसभा में व्यक्त किये।
साध्वी चंदनबाला ने कहा कि जैन शास्त्रों के अनुसार 8 प्रकार के अभिमान होते है, हम यह सोचे कि हम किस चीज का अभिमान कर रहे है जिसने भी अभिमान किया है वो चकनाचूर हुआ है। रावण जैसे शक्तिशाली ने भी अभिमान किया था वो भी चकनाचूर हुआ है। पहले पढ़ाई अनुशासन से शुरू होती थी शिक्षा संस्कारों के साथ दी जाती थी जिसमे आजकल काफी कमी दिखने को मिल रही है। संस्कारो के अभाव के कारण ही लड़के – लड़किया गलत राह पर जा रहे है उसके जिम्मेदार उनके माता पिता है । सुबह उठते ही अपने माता पिता को प्रणाम करो एवं उनका सदैव आदर करो। साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने कहा कि जब तक व्यक्ति में अभिमान की भावना नही हटेगी तब तक उसका कल्याण होने वाला नही है। आज जो जमीनों के झगड़े सुनने को मिलते है उसमें मुख्य कारण अभिमान का है, दुसरो को परिवर्तन या उपदेश देने से पहले स्वयं को बदले। साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा कि रविवार को प्रातः 8.30 बजे से शुरू होने वाले नवकार महामन्त्र के सामूहिक जाप में अधिक से अधिक भाग लेवे रविवार को पुष्य नक्षत्र है इस दिन जाप करने से कई तरह के लाभ मिलते है। धर्मसभा को साध्वी आनन्द प्रभा, साध्वी सुरभिश्री ने भी संबोधित किया। संघ के अध्यक्ष चन्द्र सिंह चौधरी, मंत्री देवीलाल पीपाड़ा ने सभी आगन्तुको का स्वागत किया।
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