विश्व के आश्चर्य में से एक शाहपुरा का उम्मेद सागर बांध

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संवाददाता शाहपुरा। शाहपुरा भीलवाड़ा शाहपुरा मैं बने बांध विश्व के आश्चर्य में से एक है जोकि शाहपुरा में स्थित है शाहपुरा अपने जमाने की स्वतंत्र रियासत रही और रियासत के राजा ने जनता के हित के लिए उम्मेद सागर नामक बांध बनाया जो आश्चर्यकी गिनती में आता है लेकिन इसे विश्व पटल पर नाम नहीं मिला विश्व में कोई बांध ऐसे नहीं है जो कि कच्चे हो और सैकड़ों वर्षो से काबिज रहे हो यह विश्व का एकमात्र ऐसा बांध है जो कि कच्चा है पत्थरों को जमा कर बनाया गया है विश्व में ऐसे इंजीनियरिंग की कोई मिसाल नहीं है जानकारी के अनुसार शाहपुरा से लगभग 8 किलोमीटर दूर लगभग दो शताब्दी पुराना बांध जिसका नाम उम्मेद सागर है जो कि उस समय के वर्तमान राजा श्री नाहर सिंह जी ने अपने दादा परदादा श्री उम्मेद सिंह जी की याद में नाम पर बनाया और उस समय लगभग 10 लाख रुपए का खर्चा आया और बांध को बनने में लगभग सवा साल लगा था और हजारों मजदूर किसानों ने पत्थरों से बिना सीमेंट चुने के इसे बनाया बनाया था यह तेरहा फीट की भराव क्षमता रखता है इस बांध में आसपास के क्षेत्रों से पानी बहकर आता है और जमा होता है वर्तमान में लगभग 3400 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नेहरो के द्वारा होती और लगभग 17 किलोमीटर लंबी नहर लगभग 23 गांव को सिंचाई में फसलों को पानी पिलाने का कार्य करती है अब से कुछ साल पूर्व बांध की ओर नहरों की और रास्तों की हालत बहुत खराब थी सरकार ने लगभग 13 करोड रुपए बांध की मरम्मत और नेहरो को सुधारने के लिए दे रखे हैं और वर्तमान में कार्य प्रगति पर है बांध की देखरेख मैं टीचिंग का कार्य हो चुका है आसपास से झाडीया हटा दी गई है टूट-फूट और रीसाव की जगह पर मरम्मत की जा चुकी है शाहपुरा से बांध तक जाने का रास्ता सड़क बन चुकी है नेहरो की मरम्मत का कार्य चल रहा है और लगभग आधा कार्य पूर्ण हो चुका है लेकिन बजट की कमी आ सकती है और लगभग 2 से 5 करोड रुपए की आवश्यकता और होगी तो कार्य पूर्ण हो जाएगा नेहरो के आसपास से अतिक्रमण हटाया गया है वर्तमान में उम्मेद सागर बांध पर पानी बिल्कुल नहीं है उम्मेश सागर के पेटे में कृषक फसल उगा रहे हैं गौरतलब है कि राजाओं के जमाने में अकाल पड़ा और पीने के पानी की मानव और जानवर को तरसते देख राजा उम्मेद सिंह प्रथम ने बांध की परिकल्पना की थी जिसे राजा नाहर सिंह जी ने ब्रिटिश गवर्नमेंट के यहां सोना चांदी गिरवी रखकर बांधों का निर्माण कराया।

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