हनुमानगढ़। श्री गुरुनानक जयंती व श्री भगत नामदेव के प्रकाश उत्सव के अवसर पर सर्व समाज द्वारा सिख समाज के प्रथम गुरू नानक देव की जयंती और 555 वां व श्री नामदेव प्रकाश पर्व के उपलक्ष में श्रीअखण्ड पाठ के भोग के डाले गये । श्री अखण्ड पाठ के भोग के पश्चात दीवान सजाये गये जिसमें बाहर से आये रागी,ढाडी जत्यो व कथावाचक द्वारा गुरू के इतिहास का वर्णन किया गया । हैड ग्रंथी द्वारा अरदास कर शहर की सुख स्मृद्धि व खुशहाली की अरदास कि गई । कथावाचकों ने कथा वाचन कर गुरु नानक देव जी की जीवनी से जुड़े प्रसंगों को सुनाते हुए गुरु जी महिमा गाई व साध संगत को बताया कि गुरुनानक जी ने चार उदासियां (यात्राएं) विश्व में अज्ञानता के अंधेरे को दूर करने के लिए की थी।
सतगुर नानक परगट्या मिट्टी धुंध जग चानन होआ… एवं चिम चिम वरसे अमृत धार गुर नानक ने लिया अवतार विच ननकाणे ते आया है नानकी दा वीर… तथा गुर नानक की वडिआई… एवं सबते वड्डा सतगुरु नानक जिन कल राखी मेरी… शबद गायन कर माहौल को नानकमय बना दिया। उन्होने कहा कि पूरा सिख समुदाय एक साथ इकट्ठा होकर गुरु नानक देव जी को याद करता है. गुरु नानक देव जी ने हमेशा जात-पात का विरोध किया. उन्होंने हमेशा एक साथ मिलकर चलने का संदेश दिया था. उन्होंने अपने समय में लंगर की शुरुआत की थी, जिसका मकसद था कीरत करो – वांड छको ,छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब सब एक साथ बैठकर भोजन प्राप्त कर सकें. किसी के मन में किसी भी व्यक्ति के लिए भेदभाव न हो। इस मौके पर गुरूद्वारा व्यवस्थाएं संभाली। गुरू का लंगर अटूट बरता।
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