श्री गुरुनानक देव जी के 556 वें प्रकाश पर्व परश्रीअखण्ड पाठ के भोग डाले

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हनुमानगढ़। गुरूद्वारा सिंह सभा हनुमानगढ़ टाउन व जंक्शन में श्री गुरुनानक देव जी के 556 वें प्रकाश पर्व पर टाउन व जंक्शन दोनो जगह श्रीअखण्ड पाठ के भोग डाले गये।  गुरूद्वारा प्रबंध समिति के प्रधान नछत्र सिंह व पूर्व प्रधान इन्द्रसिंह मक्कासर ने बताया कि क्षेत्र की सुख स्मृद्धि व खुशहाली की अरदास के साथ विशेष दीवान सजाये गये। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरूद्वारा साहिब में पहुचकर मात्था टेका। विशेष दीवान की शुरुआत सुबह 10 बजे अखण्ड पाठ के भोग के पश्चात खुले दिवान सजाये गये । दीवान में बाहर से आय रागी हजूरी जत्था जं. भाई गुरमेल सिंह, टाऊन हजूरी जत्था भाई गुरचरण सिंह सिंह,कथा वाचक भाई गुरमीत सिंह जैतसर वाले व कविसरी जत्था भाई दलबाग सिंह वलटोहा वाले  ने गुरू की वाणी का बखान कर संगतों को निहाल किया। रागी जत्थो द्वारा गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा तेरे गुण गांवां… कल तारण गुर नानक आया… शबद गायन किया। कथावाचकों ने कथा वाचन कर गुरु नानक देव जी की जीवनी से जुड़े प्रसंगों को सुनाते हुए गुरु जी महिमा गाई व  श्री सुखमणी साहिअ सेवा सोसायटी कि महिला सदस्यो ने साध संगत को बताया कि गुरुनानक जी ने चार उदासियां (यात्राएं) विश्व में अज्ञानता के अंधेरे को दूर करने के लिए की थी।

सतगुर नानक परगट्या मिट्टी धुंध जग चानन होआ… एवं चिम चिम वरसे अमृत धार गुर नानक ने लिया अवतार विच ननकाणे ते आया है नानकी दा वीर… तथा गुर नानक की वडिआई… एवं सबते वड्डा सतगुरु नानक जिन कल राखी मेरी… शबद गायन कर माहौल को नानकमय बना दिया। उन्होने कहा कि पूरा सिख समुदाय एक साथ इकट्ठा होकर गुरु नानक देव जी को याद करता है. गुरु नानक देव जी ने हमेशा जात-पात का विरोध किया. उन्होंने हमेशा एक साथ मिलकर चलने का संदेश दिया था. उन्होंने अपने समय में लंगर की शुरुआत की थी, जिसका मकसद था कीरत करो – वांड छको ,छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब सब एक साथ बैठकर भोजन प्राप्त कर सकें. किसी के मन में किसी भी व्यक्ति के लिए भेदभाव न हो। इस में गुरूद्वारा मुख सेवादार जगजीत सिंह टोनी, उपप्रधान गुरजन्ट सिंह,सभापति देवेन्द्र सिंह खिन्डा,उपसभापति दरबारा सिंह,सचिव कर्मजीत सिंह,मंत्री इन्द्र सिंह मक्कासर,सुलखन सिंह,नरेश कोचर,भगत सिंह,प्यारा सिंह,हरमेल सिंह,माता सुरजीत कौर,अमरजीत कौर,गुरमीत कौर भोली, इन्द्रजीत कौर, मनजीत कौर,तेजेन्द्र कौर, प्रीतपाल कौर,रीया, ने व्यवस्थाएं संभाली। गुरू का लंगर अटूट बरता।

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