जयपुर: कला और कलाप्रेमियों का गढ़ कहें जाने वाला जवाहर कला केंद्र एकबार फिर विवादों में आ गया। दरअसल इन दिनों JKK में तह-सतह प्रदर्शनी लगी हुई है। इसी दौरान दिखाई गई फिल्म में महिलाओं की न्यूडनेस ने विवाद पकड़ लिया और मामला महिला आयोग तक पहुंच गया है। स्थानीय कलाकारों ने कहा यहां कला के नाम पर महिलाओं की नग्नता परोसी जा रही है।
बता दें प्रदर्शनी के तहत यहां कई फिल्में दिखाई जा रही हैं। इसमें दो फिल्मों को लेकर भारी विवाद हो गया है। इससे स्थानीय कलाकारों में तो विरोध है ही, वहीं महिला आयोग की सदस्य सचिव अमृता चौधरी की मानें तो ये गलत है और इस कार्यक्रम पर प्रसंज्ञान लेते हुए आयोग कार्रवाई करेगा। जानकारी के अनुसार ये प्रदर्शनी 20 जनवरी से 5 मार्च 2017 तक लगी रहेगी।
ये हैं वो आपत्तिजनक फिल्में
इस प्रदर्शनी के तहत मणिकौल की डाक्यूमेंटरी सिद्धेश्वरी और रणवीर कालेका की वीडियो स्वीट अनइज के दृश्यों पर आपत्ति जताई जा रही है। स्वीट अनइज में दो नग्न पुरुषों और दो नग्न महिलाओं को कुश्ती करते हुए दिखाया गया है।वहीं सिद्धेश्वरी में एक महिला को नग्न होकर पानी में नहाते हुए दिखाया गया है। इस फिल्म में अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने काम किया है। उन्हें इसमें न्यूड होकर नहाते हुए दिखाया गया है।
इस प्रदर्शनी के तहत मणिकौल की डाक्यूमेंटरी सिद्धेश्वरी और रणवीर कालेका की वीडियो स्वीट अनइज के दृश्यों पर आपत्ति जताई जा रही है। स्वीट अनइज में दो नग्न पुरुषों और दो नग्न महिलाओं को कुश्ती करते हुए दिखाया गया है।वहीं सिद्धेश्वरी में एक महिला को नग्न होकर पानी में नहाते हुए दिखाया गया है। इस फिल्म में अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने काम किया है। उन्हें इसमें न्यूड होकर नहाते हुए दिखाया गया है।
तर्क में मिला जवाब-नारी की सुंदरता को परोसा है
तमाम विरोधों के बावजूद भी प्रदर्शनी से इन फिल्मों को हटाया नहीं गया है। जैसे ही अलंकार में ये फिल्में चलीं तो वहां आई कई फैमिली शरमाने लगीं और बच्चों को तुरंत वहां से बाहर निकाला। जवाहर कला केंद्र के परिजात आर्ट गैलरी में शुरु हुई पेंटिंग एग्जिबीशन में आर्टिस्ट विश्वजीत दास की पेंटिंट ने भी लोगों को शर्मिंदा किया। इन फिल्मों से जुड़े लोगों का तर्क है कि वे इसमें नारी की सुंदरता को परोस रहे हैं।
इससे पहले भी साल 2015 में आर्ट समिट के दौरान क प्रदर्शनी में गाय के एक पुतले को हवा में लटका दिखाया गया जिसपर लोगों ने आपत्ति जताई और पुलिस को बुला लिया गया। विरोध के चलते प्रदर्शनी को हटा दिया गया। इस प्रदर्शनी के स्थानीय कलाकार सिद्धार्थ कारवाल का कहना है कि कला के जरिए गाय को प्लास्टिक खाने से होने वाली पीड़ा दिखाने की कोशिश की गई थी। भारत आने वाला हर विदेशी नागरिक गाय को देखता है और गाय की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। गाय जिस हिसाब से प्लास्टिक खा रही है, उसे देखते हुए यह एक दिन गायब हो जाएगी।