CAA के बाद अब NPR लाने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें इस एक्ट के फायदें-नुकसान

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन एक्ट पास करवाने के बाद अब मोदी सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) लाने की तैयारी कर रही है। नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच कैबिनेट की ये अहम बैठक है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में देश के नागरिकों का डेटा होगा। सूत्रों का कहना है कि अगले साल अप्रैल से एनपीआर लाया जा सकता है।

एनपीआर के लिए डेटा 2010 में तभी इकट्ठा किया गया था, जब 2011 की जनगणना के लिए आंकड़े जुटाए गए थे। इस डेटा को 2015 में अपडेट किया गया था। इसका डिजिटाइजेशन भी पूरा हो गया है। रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस (जनगणना) कमिश्नर के मुताबिक, असम को छोड़कर देश की सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल से सितंबर 2020 तक जनगणना के आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसी दौरान एनपीआर को भी अपडेट किया जाएगा। इसके लिए इसी साल अगस्त में नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था।

क्या है एनपीआर
एनपीआर को नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मसला) नियम 2003 के तहत स्थानीय स्तर पर यानी उपजिला, जिला और राज्य स्तर पर बनाया जाएगा। देश के हर नागरिक के लिए इसमें नाम दर्ज कराना जरूरी है। इसका मकसद देश में रह रहे नागरिकों का समग्र डेटाबेस तैयार करना है। यह डेटाबेस जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक आधार पर बनाया जाएगा।

किस तरह जानकारियां होगी शामिल-
एनपीआर के लिए लोगों से नाम, पता, पेशा, शिक्षा जैसी 15 जानकारियां मांगी जाएंगी। लोगों की फोटो, फिंगर प्रिंट, रेटिना की भी जानकारी ली जाएगी। 5 साल से अधिक उम्र के निवासियों से जुड़ी हर सूचना होगी। सरकार की अधिसूचना के मुताबिक इस बार भी NPR के लिए आंकड़े जुटाने का काम 2020 में 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक किया जाएगा। इन सबके अलावा NPR यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नागरिकता की जो जानकारी दी जाएगी वो स्वघोषित यानी खुद से बताई गई होगी, जो व्यक्ति की नागरिकता का पुख्ता सबूत नहीं होगी।

एनपीआर से फायदा क्या होगा ?
देश के हर निवासी की जानकारी और पहचान सरकार के पास होगी। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच सकेगा। देश की सुरक्षा के लिए कारगार कदम उठाए जा सकेंगे। आपको बता दें कि साल 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी। माना जा रहा है कि नए नागरिकता कानून के बाद अब एनपीआर पर भी विवाद हो सकता है।

क्यों पड़ी एनपीआर की जरूरत-
सेंसस ऑफ इंडिया की वेबसाइट के होमपेज पर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स का लिंक है जिसके अंदर नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का जिक्र है. इसके मुताबिक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का उद्देश्य देश में रहने वाले प्रत्येक शख्स की पहचान का डेटाबेस तैयार करना है. इसके लिए लोगों की भौगोलिक और शरीर से जुड़ी बाहरी और भीतरी जानकारी रखी जाएगी.

एनआरसी (NRC) और एनपीआर (NPR) में फर्क
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी- इसके जरिए अवैध नागरिकों की पहचान होगी। एनपीआर- 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त से एक क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनआरपी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा या ऐसा व्यक्ति जो अगले 6 महीने के लिए उस जगह रहने की इच्छा रखता है, उसे भी इसके तहत अपनी जानकारी देनी होगी।

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