– हड्डारोड़ी के विरोध में 34 वें दिन जन आक्रोश रैली का आयोजन
हनुमानगढ़। हड्डा रोड़ी हटाओ संघर्ष समिति कोहला द्वरा रविवार को जिला स्तरीय हड्डारोड़ी के विरोध में गांव में जन आक्रोश रैली निकाली गई। जन आक्रोश रैली में महिलाओं पुरूषों में भारी रोष दिखा। महिलाओं ने हाथ में थाली लेकर चम्मचों से बजाते हुए विरोध दर्ज करते हुए कहा कि प्रशासन में इस थाली के समान अपने कुछ चम्मचों के कहने गांव कोहला के हजारों लोगों की जीवन दुर्भर करने को तुला है। उन्होने कहा कि आज महिलाओं ने थाली बजाकर व पुरूषों ने ढोल बजाकर प्रशासन को जगाने का प्रयास किया है व साथ ही आज से आन्दोलन और उग्र करने का शंखनाद भी किया है। जन आक्रोश रैली गांव के बाबा रामदेव मन्दिर से शुरू होकर गांव के मुख्य मुख्य मार्गाे से होती हुई धरना स्थल पर पहुची। जहां जहां से जन आक्रोश रैली निकली वहां वहां काफिला बढ़ता चला गया। मानों ऐसा लग रहा था कि जन आक्रोश रैली ने ग्रामीणों में एक नई उर्जा का संचार कर दिया है। संधर्ष समिति संयोजक लीलाधर शर्मा ने बताया कि पिछले 34 दिनों से ग्रामीण गांधी जी के दिखाये रास्ते पर चल रहे थे परन्तु प्रशासन के ढीठपन के चलते अब ग्रामीण गांधीवादी तरीके को छोड़कर भगत सिंह के दिखाये रास्ते पर चलते हुए आन्दोलन को उग्र करेगे। उन्होने कहा कि ग्रामीण शांतीपूर्वक पिछले 34 दिनों से धरने पर बैठे थे.
परन्तु प्रशासन और नई अड़चने लाकर ग्रामीणों को परेशान करने का काम कर रहा था परन्तु ग्रामीण अपने मत से न हिलते हुए एक आवाज में हड्डारोड़ी हटाने की बात करते रहे परन्तु ग्रामीणों के गांधीवादी प्रदर्शन को प्रशासन मूर्ख समझने की भूल कर रहा है जिस के कारण अब भगत सिंह के दिखाये रास्ते पर चलते हुए आन्दोलन को तेज किया जायेगा। संघर्ष समिति संरक्षक हरीराम मायल ने कहा प्रशासन को आमजन के सुख दुख से कोई लगाव नही है इस लिये प्रशासन कोहला ग्रामीणों से सब्र की परीक्षा ले रहा है। उन्होने कहा कि ग्रामीणों ने अपनी एकता और ताकत पहले भी ट्रैक्टर रैली के माध्यम से प्रशासन को दिखा दी थी और दुसरी झलक आज जन आक्रोश रैली के माध्यम से दिखा रहे है और अगर अब भी प्रशासन ग्रामीणों की बात को नही मानता है तो एक बड़ा आन्दोलन प्रशासन का इंतजार कर रहा है जिसे प्रशासन द्वारा संभाल पाना मुश्किल होगा। इस मौके पर अंतराम सुथाार, श्योपत जाखड़, जसवंत नाई, लीलाधर शर्मा, भागीरथ गोदारा, पृथ्वीराज शर्मा, पालाराम छिम्पा, यूनिलाल, मनीष सुथार, शारदा देवी, सुमिता देवी, माया देवी, सुमित्रा देवी, परमेश्वरी देवी, भागी देवी, सरबती देवी सहित अन्य ग्रामीण मौजूद थे।
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