नई दिल्ली: बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत ने कहा कि है कि जो भी साक्ष्य और सबूत पेश किए गए, उसमें किसी तरह की साजिश नहीं दिखती।
इस मामले में शुरुआत में कुल 38 आरोपी थे, लेकिन मुकदमा शुरू होने से पहले ही आरोपी नेता और IPS अधिकारी आरोप मुक्त हो गए। बचे 22 आरोपियों में 21 जूनियर पुलिसकर्मी और एक बाहरी व्यक्ति हैं। हालांकि, अब इस मामले में सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
जज एसजे शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि हमें इस बात का दुख है कि तीन लोगों ने अपनी जान खोई है। लेकिन कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है। सीबीआई इस बात को सिद्ध ही नहीं कर पाई कि पुलिसवालों ने सोहराबुद्दीन को हैदराबाद से अगवा किया था. इस बात का कोई सबूत नहीं है।
हालांकि, कोर्ट ने इस बात को माना है कि सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने के कारण ही हुई थी। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है। यही कारण है कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार और एजेंसियों ने इस केस की जांच करने में काफी मेहनत की, 210 गवाहों को पेश किया गय लेकिन किसी भी तरह से सबूत सामने नहीं आ सके।जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि असहाय हैं।
बताते चलें कि 2005-06 के दौरान हुए इस एनकाउंटर में इस कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने से राजनीति काफी गर्मा गई थी। अब 13 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। इस मामले की आखिरी बहस 5 दिसंबर को खत्म हुई थी।
इन बड़े नेताओं का नाम शामिल-
इस मामले में आरोपियों की लिस्ट में अमित शाह का नाम भी शामिल था, जिसकी वजह से फैसले के सियासी मायने भी निकाले जा रहे थे। हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था. शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री हुआ करते थे। अमित शाह के अलावा राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल थे।
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