संवाददाता भीलवाड़ा। हमारे महापुरुषों ने पापी व्यक्ति से नफरत नही करके प्यार किया जिससे उनका जीवन बदल गया। जन्म से कोई अपराधी नही बनता है,किसी मजबूरी के कारण उसमे बदलाव आता है,हम उसे प्रेम से समझाकर उनकी मदद करे ताकि उनका जीवन बदल जावे। आज हम नफरत पापी से करते है,पाप से नही। उक्त विचार तपाचार्य जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने व्यक्त किए। धर्मसभा में पूज्य प्रवर्तक पन्नालाल महाराज की 135 वी जन्म जयंती पर साध्वी ने कहा कि आपने सबसे पहले स्वाध्याय की शुरुआत की। जीव दया हेतु जगह -जगह कबूतर शाला, चिकित्सालय, छात्रावास, विद्यालय खुलवाए। उनकी प्रेरणा से आज गुलाबपुरा में मिर्गी रोग निवारण चिकित्सालय चल रहा है। साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा कि जैनधर्म में कोई जाति पाति का भेदभाव नही है, कर्म को महत्व दिया गया है। साध्वी आनंद प्रभा ने कहा कि खुशी के आंसू ठंडे होते है,दुःख के आंसू गर्म होते है। पर्युषण पर्व के दौरान भी जीवन में बदलाव नही आया तो फिर कभी आने वाला नही है। हमारे जीवन के भीतर भी महापुरुषों जैसा जीवन आवे।
साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने अन्तर्गढ़ दशांग सूत्र का वाचन करते हुए अर्जुन माली के जीवन में कैसे बदलाव आया उस पर प्रकाश डाला धर्मसभा में स्वाध्याय ताराचंद रांका, हीरा लाल गोखरू, पूरण मल चौधरी ने पूज्य प्रवर्तक पन्नालाल महाराज के जीवन पर प्रकाश डाला। पर्युषण पर्व के दौरान तपस्या करने वालो का तांता लगा हुआ है। बाहर से आने वाले श्री संघो का शब्दो से स्वागत किया गया।
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